China Taiwan Tension: ताइवान और चीन के विवाद तनाव जारी है. नैंसी पेलोसी के ताइवान से रवाना होने के पहले ही चीन की नौसेना और वायुसेना ने दक्षिण चीन सागर में 6 जगह युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. चीन की नौसेना ताइवान के उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में जिस जगह लाइव फायर ड्रिल कर रही है, वहां से ताइवान की दूसरी 15 मील से भी कम बताई जा रही है. चीन ताइवान के जलक्षेत्र में हेकड़ी दिखा रहा है और लगातार मिसाइलें दाग रहा है. इसमें से 5 मिसाइलें जापान के इलाके में जाकर गिरी हैं. चीन की इस हरकत पर जापान की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, जापानी प्रधानमंत्री ने इसे एक गंभीर समस्या बताया है, जो उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रही है.


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जापानी पीएम और रक्षा मंत्री ने जताया विरोध


जानकारी के मुताबिक, जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने दावा किया था कि पांच बलिस्टिक मिसाइल उनके एक्सक्लूजिव इकनॉमिक जोन में गिरी. किशी ने कहा था कि ऐसा पहली बार हुआ है. जापान ने इस हरकत का कड़ा विरोध किया. रक्षा मंत्री ने इसे एक गंभीर समस्या बताया क्योंकि सवाल राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा का है. अब जापान के प्रधानमंत्री ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया जताई है.



लगातार युद्धाभ्यास कर रहा है चीन


बता दें कि नैंसी पेलोसी के दौरे से चीन के अहंकार को बड़ी चोट लगी है. अमेरिका को घुड़की देने के लिए चीन की सरकार ने जितनी आग उगली, अब वही बदले की आग बनकर चीन के लोगों के दिल में धधक रही है. इसलिए अब वो लगातार ताइवान सीमा पर सैन्य अभ्यास कर रहा है. चीन का ये युद्धाभ्यास 1996 के ताइवान संकट से भी ज्यादा बड़ा है. चीन की सरकारी मीडिया ने तो यहां तक धमकी दे दी है कि 7 अगस्त तक चलने वाला युद्धाभ्यास आगे भी बढ़ सकता है और ये भी हो सकता है कि चीन की सेना ताइवान के सैन्य ठिकानों पर हमला भी कर दे.


90 साल पुरानी है जापान और चीन की दुश्मनी


लेकिन अब इस मामले में जापान की भी एंट्री हो गई है. आपको बता दें कि चीन और जापान की दुश्मनी कोई नहीं हैं. दोनों देशों के बीच 90 से दुश्मनी चली आ रही है. साल 1931 में जापानी फौज ने चीन के मंचूरिया पर हमला किया. यह हमला जापानी नियंत्रण वाले एक रेलवे स्टेशन के पास हुए विस्फोट के जवाब में किया गया था. इस युद्ध में चीन की बुरी तरह हार हुई. वहीं, जापान ने मंचूरिया का काफी बड़ा इलाका जीत लिया. इसके बाद जापान ने दिसंबर 1937 में नानजिंग शहर पर हमला किया. वहां 1938 तक कत्लेआम हुआ, जिसे आज तक चीन समेत पूरी दुनिया नहीं भूल पाई.



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