चीन-तालिबान के गठजोड़ से अफगानिस्तान में रह रहे उइगर मुसलमानों की बढ़ी चिंता
ये माना जाता है कि चीन (China) से संबध मजबूत करने के लिए साल 1990 में तालिबान (Taliban) ने कई उइगर मुसलमानों को रिमोट लोकेशन से हटा कर उन्हें अफगानिस्तान (Afghanistan) के शहरों में शिफ्ट कर दिया था.
नई दिल्ली: चीन (China) के शिनजियांग (Xinjiang) से जान बचा कर अफगानिस्तान (Afghanistan) में लौटे उइगर (Uyghur) मुसलमानों के सामने एक बार फिर से बड़ा संकट पैदा हो गया है. उइगर मुसलमानों को डर है कि चीन (China) के कहने पर कहीं तालिबान (Taliban) उन्हें एक बार फिर से वापस शिनजियांग न भेज दे. जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों में 2000 के करीब उइगर मुसलमान रह रहे हैं.
तालिबान के नेता की चीनी राजदूत से मुलाकात
इस हफ्ते मंगलवार को तालिबान (Taliban) के नेता अब्दुल सलाम हनफी ने काबुल में अफगानिस्तान में चीनी राजदूत वांग यू से मुलाकात की है. जहां दुनिया भर के देश तालाबिन के कब्जे के बाद से अपने दूतावासों को बंद कर अफगानिस्तान से बाहर जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ चीन ने काबुल में अपने दूतावास को खुला रखने का फैसला किया हुआ है. ज़ी मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान में रह रहे उइगर मुसलमानों में इस बात का डर है कि कहीं दबाव में तालिबान उन्हें वापस चीन को न सौंप दे.
चीनी जासूस हुए थे गिरफ्तार
तालिबान ने अपने एक बयान में कहा है कि वो चीन को अपना दोस्त मानता है. चीन तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट ( ETIM) को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. इस साल की शुरुआत में यानि तालिबान कब्जे से पहले अफगानी सरकार ने काबुल से 10 चीनी जासूसों को गिरफ्तार कर फेक ETIM सेल का खुलासा किया था. पकड़े गये सभी चीनी जासूस ETIM सेल के नाम पर अफगानिस्तान में रह रहे उइगर मुसलमानों के बारे में जानकारी जुटाने में लगे थे जिससे उन्हें पकड़ कर वापस चीन ले जाया जा सके.
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पहचान उजागर होने का खतरा
अफगानिस्तान में कई सालों से रह रहे उइगर मुसलमानों को भले ही अफगानिस्तान की नागरिकता मिल गई हो लेकिन सरकारी डाक्यूमेंट में उनके नाम के आगे चाइनीज माइग्रेंट (Chinese Migrants) लिखा है ऐसे में उनकी पहचान उजागर होने का खतरा बना हुआ है. देखा जाये तो तालिबान म्यामांर से लेकर फिलस्तीन के मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाता रहता है लेकिन जब बात चीन के उइगर मुसलमानों की हो तो वो चुप्पी साध लेता है. उइगर मुसलमानों को इस बात का डर है कि ETIM संगठन से जुड़े होने के फर्जी आरोप लगा कर तालिबान उन्हें चीन को सौंप सकता है.
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