हद है! चीन के टॉप वैज्ञानिक ने किया दावा, चांद के दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरा भारत का चंद्रयान-3
Chandrayaan-3 : भारत की इस कामयाबी पर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया या विवाद नहीं किया. दरअसल, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से के पास सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो वैज्ञानिकों की सराहना की है.
China News: एक शीर्ष चीनी वैज्ञानिक ने नई दिल्ली की ऐतिहासिक उपलब्धि पर विवाद करते हुए दावा किया है कि भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव या उसके आसपास नहीं उतरा. भारत की इस कामयाबी पर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया या विवाद नहीं किया. दरअसल, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से के पास सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो वैज्ञानिकों की सराहना की है.
यह चौंकाने वाला दावा ऐसे समय में आया है जब भारतीय वैज्ञानिक दो सप्ताह की ठंडी चंद्र रात के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को हाइबरनेशन से पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं. यह टिप्पणियां बुधवार को चीनी ब्रह्मांड रसायनज्ञ (cosmochemist ) ओयांग ज़ियुआन द्वारा की गईं - जो चीन के पहले चंद्र मिशन के मुख्य वैज्ञानिक थे.
चीनी विज्ञान अकादमी के सदस्य ओयांग ने कहा, 'चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं थी, न ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के ध्रुवीय क्षेत्र में थी, न ही यह 'अंटार्कटिक ध्रुवीय क्षेत्र के पास' थी. ' ओयांग ने आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार को यह बताया. उनका तर्क चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को लेकर अलग-अलग धारणाओं से उपजा है.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की अलग-अलग धारणाएं?
पृथ्वी पर, दक्षिणी ध्रुव को 66.5 और 90 डिग्री दक्षिण के बीच कहीं भी परिभाषित किया गया है, क्योंकि इसकी रोटेशनल धुरी सूर्य के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है. ओयांग का तर्क है कि चूंकि चंद्रमा का झुकाव केवल 1.5 डिग्री है, ध्रुवीय क्षेत्र बहुत छोटा है.
नासा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को 80 से 90 डिग्री मानता है, जबकि ओयांग ने कहा कि वह इसे 88.5 से 90 डिग्री पर और भी छोटा मानते हैं, जो चंद्रमा के 1.5 डिग्री झुकाव को दर्शाता है.
हांगकांग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने खारिज किया आयोंग का तर्क
हांगकांग विश्वविद्यालय की अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला के एक वैज्ञानिक ने ओयांग के निराधार दावों को खारिज कर दिया है. हांगकांग विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक क्वेंटिन पार्कर ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया, 'जिस क्षण आप दक्षिणी ध्रुव के करीब और निश्चित रूप से दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के रूप में परिभाषित एक रोवर को उतारते हैं, वह पहले से ही एक बड़ी उपलब्धि है. मुझे लगता है कि इसकी वजह से भारत से कुछ भी नहीं छीना जाना चाहिए.'