बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के बीच हुई वर्चुअल मीटिंग पर दुनियाभर की निगाहें थीं. चीन (China) भी इस पर करीब से नजर रखे हुए था. अब चीनी एक्सपर्ट्स ने इस बैठक को लेकर अपनी राय जाहिर की है. गौर करने वाली बात ये है कि चीन भी मीटिंग में भारत के रुख की तारीफ किए बिना नहीं रह सका है.


PM मोदी ने अपनाए रखा न्यूट्रल रुख


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चीनी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे एक लेख में कहा गया है कि अमेरिका ने तमाम कोशिश की कि भारत को रूस के खिलाफ खड़ा किया जा सके, लेकिन सफल नहीं हुआ. मीटिंग में PM मोदी ने न्यूट्रल रुख अपनाए रखा और रूस-यूक्रेन के बीच शांति की बात को दोहराया. आर्टिकल के मुताबिक, चीनी पर्यवेक्षकों का मानना है कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और अमेरिकी विश्वसनीयता पर चिंताओं को देखते हुए इस मुद्दे पर आसानी से नहीं झुकेगा. दोनों पक्ष जुड़ाव बनाए रखेंगे और इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी उनकी बातचीत के प्रमुख कारणों में से एक है. लेकिन चूंकि भारत और अमेरिका की अलग-अलग उम्मीदें हैं, नई दिल्ली इस क्षेत्र में वॉशिंगटन के मोहरे के रूप में काम नहीं करेगी.


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भारत का स्टैंड उसके लिए फायदेमंद


सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग (Qian Feng) ने कहा कि यूएस प्रेसिडेंट बाइडेन भारतीय रुख को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को देखते हुए यूक्रेन के मुद्दे पर अपनी तटस्थ स्थिति नहीं बदलेगा, जो देश के लिए फायदेमंद है. 


इन देशों की तरह काम नहीं करेगा India


कियान ने यह भी कहा कि अमेरिका और भारत पहले ही करीब आ चुके हैं, मगर भारत का अपना रणनीतिक रुख है, जो यूक्रेन संकट में स्पष्ट हो गया है - भारत जापान या ऑस्ट्रेलिया की तरह काम नहीं करेगा. इसका मतलब है कि अमेरिका, भारत को एक टूल के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाएगा.


हर संभव दांव चला पर फायदा नहीं हुआ


वहीं, चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एशिया-पैसिफिक स्टडीज विभाग के प्रमुख लैन जियानक्स्यू (Lan Jianxue) का कहना है कि अमेरिका चाहता है कि भारत रूस के खिलाफ उसके अभियान का हिस्सा बने, इसके लिए उसने सहयोगियों - ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूके - सहित अपने अधिकारियों को दिल्ली भेजा. बाइडेन ने खुद भारतीय PM से बात की मगर कोई खास फायदा नहीं हुआ.


China पर जुदा हैं दोनों की राह


उन्होंने आगे कहा कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि यूएस भारत को अपने खेमे में लाने के लिए कोई आकर्षक पेशकश दे, लेकिन भारत पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर नहीं होगा. लैन ने कहा कि जब बात चीन की आती है, तो भारत और अमेरिका की राह जुदा है. यूएस अपना अत्यधिक दबाव वाला रुख नहीं छोड़ेगा. जबकि भारत को चीन के साथ जुड़ाव बनाए रखने की उम्मीद है, क्योंकि दोनों पड़ोसी हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता.