नई दिल्ली: अपने मोहल्ले के सैलून या शहर के किसी हेयर ड्रेसर के यहां बाल कटवाते वक्त क्या आपने कभी सोचा है कि जमीन पर कट कर गिरे आपके उन बालों की तस्करी भी हो सकती है. वहीं वो बाल इधर उधर यानी एक या दो देशों से घूमते हुए चीन पहुंच रहे हैं. चीन बड़े पैमाने पर इनकी तस्करी करा रहा है जिसे चीनी मूल के लोग अंजाम दे रहे हैं. दरअसल भारतीय हेयर एक्सपोर्टर और प्रोसेसर्स ने बालों की तस्करी से जुड़े स्कैम का खुलासा किया है. उनके मुताबिक चीनी नागरिक हैदराबाद से लेकर चीन तक मानव बाल की तस्करी कर रहे हैं. तस्करी के रूट की बात करें तो मिजोरम से लेकर म्यांमार तक इस अवैध कारोबार को धड़ल्ले से करने के साथ सरकारी खजाने को चोट पहुंचाई जा रही है.


हैदराबाद को बनाया हब 


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चीनी इंपोर्टस अपनी सेटिंग के चलते हैदराबाद को बालों के अवैध बिजनेस का हब बना चुके हैं. भारतीय निर्यातकों ने राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence) से बाकायदा पत्र लिखकर करोड़ों के अवैध कारोबार पर नकेल कसने की अपील की है. हैदराबाद एयर कार्गो से म्यांमार रूट के शिपमेंट डेटा के विश्लेषण में भी काफी गोलमाल का पता चलता है. 


एजेंसियों ने भेजा अलर्ट


इस बावत कोलकाता कस्टम डिपार्टमेंट की ओर से हैदराबाद और अन्य जोनों को एक अलर्ट नोट भी भेजा गया है. बड़े पैमाने पर जारी अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए पश्चिम बंगाल के स्पेशल इन्वेसटिगेशन ब्रांच की तरफ देशभर में जीएसटी, कस्टम्स, डीआरआई और एयरपोर्ट अथॉरिटी को अलर्ट भेजा गया है. इनका कहना है कि कुछ मानव बालों के एक्सपोर्टर जानबूझ कर अपने कन्साइनमेंट का मूल्य कम दर्शा रहे हैं.


क्यों कम दिखाई जाती हैं कन्साइमेंट की कीमतें?


देश के टॉप एक्सपोर्ट्स अपने कन्साइनमेंट की कीमत 27 रुपये से लेकर 1400 रुपये प्रतिकिलो दर्शा रहे हैं. जबकि देश में मानव बालों की मौजूदा समय में खुले बाजार में कीमत रुपये 4500 रुपये से 6000 रुपये प्रतिकिलो के बीच है. साल 2017 से इनके औसत मूल्य में काफी गिरावट देखने को मिली है. देश में इन्हें चुट्टी, गोली और थुट्टी के नाम से भी जाना जाता है.


नोट में कहा गया है कि कीमतें कम दिखाने का मकसद फेमा के नियमों और आयकर के चंगुल से बचने के लिए किया जाता है. वहीं फेमा नियमों और इनकम टैक्स नियमों के उल्लंघन के साथ इस अवैध गोरखधंधे में 28% इम्पोर्ट ड्यूटी का भी नुकसान हो रहा है. जानकारी के अनुसार मानव बालों को म्यामांर और बांग्लादेश के जरिये लैंड रूट से भी स्मगलिंग की जा रही है. खबरों के मुताबिक म्यांमार और बांग्लादेश के व्यापारी भारतीय बिचौलियों से सीधे बालों की खरीद कर चीन में भेज रहे हैं. स्मलिंग में ये लोग बालों को कन्साइनमेंट को कॉटन या अन्य चीजें का कन्साइनमेंट बताते हैं.


धर्मस्थलों से होता है कलेक्शन


तस्करी से पहले भारत में मौजूद इन बालों को स्थानीय सैलूनों के अलावा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मंदिरों और चर्च से बात करने के बाद नीलामी के जरिए खरीदा जाता है. माना जाता है कि तस्कर इस खेप को सिकंदराबाद से कोलकाता या गुवाहाटी के ट्रेन रूट पर रवाना करने के बाद अगले चरण में सड़क के रास्ते यानी बाईरोड म्यांमार भेजा जाता है.


दरअसल म्यांमार बॉर्डर के रास्ते पहले भी कई चीजों की तस्करी होती रही है लेकिन हाल ही में कुछ समय पहले बालों की अवैध खेप भी पकड़ी गई थी. करीब दो महीने पहले हुए इस खुलासे के बाद पकड़े गए लोगों ने पूछताछ में बताया था कि ये बाल आंध्र प्रदेश के तिरुपति से मिजोरम पहुंचे और उसके बाद उसे म्यांमार भेजने की कोशिश की जा रही थी. तस्करों ने तब ये भी बताया था कि ये बाल म्यांमार से थाइलैंड भेजे जाते हैं.


चीन की दिलचस्पी की वजह


चीन में काफी बड़े पैमाने पर मानव बालों से ह्यूमन विग के साथ ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी बनाए जाते हैं. भारत से हर साल करीब करोड़ो रुपयों के बाल सप्लाई होते हैं. मानव बालों का कारोबार 2,500 करोड़ रुपये से अधिक का बताया जाता है. भारत में कोलकाता, चेन्नई और आंध्रप्रदेश ह्यूमन हेयर्स यानी बालों के बिजनस के बड़े हब हैं. यहीं से 90% बाल चीन को भेजे जाते हैं. वहीं देश में मानव बालों के कन्साइनमेंट कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. इसकी वजह चीन को गैरकानूनी तरीकों से मानव बालों की स्मलिंग माना जा रहा है. 


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