Russia के बाद अब इस ताकतवर देश को छोड़ने की योजना बना रहे मायूस लोग, हैरान कर देगी रिपोर्ट
China News: द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था ने जून में पलटाव के संकेत दिखाए थे. जुलाई में तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन के सबवैरिएंट, BA.5 का पता चलने पर लोगों ने फिर से अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि क्या कुछ शहरों में नए सिरे से लॉकडाउन तो नहीं लगाया जा रहा है?
Exodus of people from China: चीन में ऐसे काफी शहरी नागरिकों ने देश छोड़ने की योजना बनाना शुरू कर दिया है, जो कि निराश हैं या जिनका अपने देश की नीतियों से मोहभंग हो चुका है. स्थानीय मीडिया ने बताया कि ऑनलाइन, 'रन फिलॉसफी', या 'रन एक्सयू' यानी अपने देश से कहीं बाहर बसने के बारे में बात करने का एक कूट तरीका चलन में आया है. जिसकी चर्चा धीरे धीरे वायरल हो रही है. वेबसाइट झीहू पर, इस घटना की व्याख्या करने वाली एक पोस्ट को जनवरी से अब तक 90 लाख से अधिक बार पढ़ा जा चुका है.
सवालों की संख्या बढ़ी
'द गार्जियन' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी भाषा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विदेशी शैक्षणिक कार्यक्रमों में भर्ती होने की संभावनाओं को अधिकतम करने के तरीके के बारे में सुझावों का आदान-प्रदान करने के लिए ऐसे प्लेटफॉर्म्स की स्थापना की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, आव्रजन एजेंसियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में व्यावसायिक पूछताछ की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. इसी साल 2022 की शुरुआत से शंघाई सहित चीन के कई शहरों में सख्त लॉकडाउन लागू किया जाने लगा, तो संदेह और आलोचनाएं उठने लगीं. चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई और युवा स्नातकों ने काम न मिलने की शिकायत की.
लोगों में डर का माहौल
द गार्जियन ने बताया कि अर्थव्यवस्था ने जून में पलटाव के संकेत दिखाए, लेकिन इस महीने अधिक तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन के सबवैरिएंट, बीए.5 का पता चला तो कई लोगों ने फिर से अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि क्या शंघाई जैसे शहरों में नए सिरे से लॉकडाउन लगाया जा रहा है?
यह जानना मुश्किल है कि देश छोड़ने के बारे में विचार करने वालों में से आखिकार कितने लोग छोड़कर चले गए हैं. इस वर्ष के आधिकारिक आंकड़े तत्काल उपलब्ध नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के अनुसार, 2000 से 2021 तक के वर्षों में केवल 69 लाख लोगों का कुल चीनी प्रवास दर्ज किया गया था. यह चीन की कुल आबादी के हिस्से के रूप में मापा गया था और इस पर यूएनएफपीए ने कहा कि यह संख्या 'नगण्य' है.
चीन ने कहा था करेंगे सख्ती
मई में, बीजिंग ने कहा था कि वह चीनी नागरिकों द्वारा देश के बाहर अनावश्यक यात्रा को 'कड़ाई से सीमित' करेगा. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में चीनी डेवलपमेंट एंड सोसायटी की प्रोफेसर राहेल मर्फी ने इस बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि लोग एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था से बाहर निकलना चाहते हैं, जो अति-प्रतिस्पर्धी, थकाऊ और अप्रत्याशित हो गई है.
द गार्जियन के अनुसार, उन्होंने कहा, 'शंघाई में हालिया लॉकडाउन ने व्यक्तियों पर अनियंत्रित पार्टी-स्टेट पावर के दबाव को बढ़ा दिया है. ऐसे में लोग हालात बदलने की कोशिश के दौरान अपनी आवाज उठा रहे हैं. चीनी नागरिक किसी भी हालत में देश छोड़ने के लिए बेकरार हैं वो मानों एक कैद से छूटने के लिए छटपटा रहे हैं. कुछ सवाल तो ऐसे दिखते हैं कि मानों लोग यहां से छुटकारा पाने के सपने देख रहे हैं'.
लेकिन मर्फी ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ये युवा चीन के प्रति वफादार नहीं हैं. उनकी राष्ट्रवादी भावनाएं बहुत मजबूत हैं. उन्होंने कहा, 'अभी, हालांकि, कुछ लोगों को लगता है कि वे अपने जीवन की वर्तमान परिस्थितियों से बचना चाहते हैं.'
रूस में बने थे ऐसे हालात
गौरतलब है कि पांच महीने पहले जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था उसके बाद बने हालातों के चलते पूरे रूस खासकर मॉस्को के रईस लोगों और प्रभावशाली लोगों के बीच देश छोड़कर किसी और देश में जाने और बसने के चलन ने जोर पकड़ा था. रूसी लोगों के देश छोड़ने की वजह कुछ और थी जबकि चीन में ऐसा करने की वजह सरकार की सख्ती और दमनकारी नीतियों को माना जा रहा है.
इनपुट: (IANS)
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