Pakistan financial crisis: कोई भी देश कट्टरपंथ को बढ़ा कर और आतंकवाद को पनाह देकर आगे नहीं बढ़ सकता. इसका सीधा उदाहरण पाकिस्‍तान का दिया जा सकता है. भारत और पाकिस्‍तान दोनों देश के एक आजाद हुए थे. दोनों ने गुलामी की दासता से एक साथ छुटकारा पाया था. ऐसे में आज लगभग 75 साल बाद अगर दोनों देश की तुलना करते हैं तो कोई तर्क देने कर जरूरत नहीं है कि भारत कितना आगे जा चुका है. इसके पीछे कई वजह भी रही है. देश की जनता ही राष्ट्र को प्रगति दिला सकती है और इसमें सक्रिय भूमिका सरकार की होती है. भारत में यहां की सभी सरकारों और जनता ने मिलकर देश को दुनिया में अग्रसर बनाया. ऐसे में आपका जरूर जानना चाहिए कि पाकिस्‍तान इतना पीछे क्‍यों रह गया?       


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तरक्की तो दूर, दो वक्‍त की रोटी का मोहताज हुआ पाकिस्‍तान!  


पाकिस्तान ने इतने सालों में तरक्की तो कुछ नहीं की बल्कि और जनता को कंगाली की तरफ लेकर चले गया. इसके पीछे कई वजह हो सकती है. पाकिस्तान की अर्थव्‍यवस्‍था क्‍यों गर्त में पहुंची? इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता और बार बार सरकार का बदलना बड़ी वजह है. आज ये देश बिना युद्ध के भी युद्धरत बन गया है. एशियन लाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, जिहाद के नाम पर उग्रवाद और चरमपंथ को बढ़ावा देना और उन लोगों को पनाह देना दीर्घकाल में लोगों को नुकसान पहुंचाता है क्‍योंकि ऐसे में लोगों का ध्‍यान विकास के बजाय जंग या छद्म युद्ध छोड़ने पर ज्यादा रहता है. आप वहां की अर्थव्‍यवस्‍था दिवालिएपन की तरफ जा रही है. वहां की सरकार IMF से कर्ज की गुहार लगा चुका है. ऐसे में देखना दिलचस्‍प होगा कि IMF लोन देता है तो क्‍या क्‍या शर्त पाकिस्‍तान से मनवाएगा.        


अभी आएंगे और बुरे दिन 


IMF की टीम पाकिस्तान के दौरे पर है. पाकिस्‍तान सरकार को उम्‍मीद है कि IMF की तरफ से कर्ज मिल जाएगा और ऐसा होना लगभग तय है. IMF ने वहां की सरकार के सामने कुछ शर्तें रखी है. अगर शरीफ सरकार उन्‍हें मान लेती है तो उसके बाद कर्ज मिल जाएगा, लेकिन फिर भी पाकिस्‍तान की जनता को सिरदर्द अभी कम नहीं होने वाला है क्‍योंकि कर्ज लेने से पहले शरीफ सरकार को सब्सिडी कम करनी होगी और राजस्व बढ़ाने के लिए नए स्‍त्रोत ढूंढने होंगे. ऐसे में वहां महंगाई और बढ़ना तय मानी जा रही है. 


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