Karachi University: कराची विश्वविद्यालय (केयू) के शिक्षकों ने अपने पारिश्रमिक का भुगतान न होने के विरोध में गुरुवार को परिसर में शाम की कक्षाओं का बहिष्कार किया. शिक्षकों का पारिश्रमिक एक साल से अधिक समय से रुका हुआ है. पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन ने यह खबर दी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शिक्षकों ने डॉन से बात करते हुए कहा कि केयू के कुलपति प्रोफेसर खालिद एम. इराकी ने हाल ही में एक बैठक में उनके प्रतिनिधियों से कहा था कि शाम का कार्यक्रम घाटे में चल रहा है और यदि उन्हें उनकी सेवाओं के लिए भुगतान नहीं किया जा रहा तो शिक्षक उन कक्षाओं को लेना बंद कर सकते हैं. इसके बाद ही हमें बहिष्कार का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.


कुलपति की इन टिप्पणियों को सुनना काफी निराशाजनक
कराची यूनिवर्सिटी टीचर्स सोसाइटी (कुट्स) के अध्यक्ष प्रोफेसर सोलेहा रहमान ने कहा, ‘बैठक में उपस्थित सभी लोगों के लिए कुलपति की इन टिप्पणियों को सुनना काफी निराशाजनक है. इसलिए, सभी शिक्षकों ने सर्वसम्मति से अनिश्चित काल के लिए विरोध स्वरूप कक्षाओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया.’


कराची यूनिवर्सिटी टीचर्स सोसाइटी (कुट्स) की अध्यक्ष प्रोफेसर सोलेहा रहमान ने कहा,  ‘बैठक में उपस्थित सभी लोगों के लिए कुलपति की इन टिप्पणियों को सुनना काफी निराशाजनक था. इसलिए, सभी शिक्षकों ने सर्वसम्मति से अनिश्चित काल के लिए विरोध स्वरूप कक्षाओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया.’ उन्होंने कहा कि शाम के कार्यक्रम की फी स्ट्रक्चर सुबह के कार्यक्रम की तुलना में तीन गुना अधिक था.


कुल लंबित राशि इतनी होने का अनुमान
रहमान ने कहा, ‘कुल लंबित राशि लगभग 30 मिलियन रुपये होने का अनुमान है. इसके अलावा, शिक्षक अपने बढ़े हुए वेतन से भी वंचित हैं.’


प्रोफेसर रहमान ने इस बात पर अफसोस जताया कि कुलपति किसी भी मामले में शिक्षकों को कोई राहत देने में असमर्थ रहे. उन्होंने कहा कि शिक्षक विश्वविद्यालय की पैनल सूची से दो अस्पतालों को हटाने पर भी गहराई से चिंतित थे.


प्रोफेसर रहमान ने कहा, ‘जब यह मामला उसी बैठक के दौरान उठाया गया, तो कुलपति ने कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते शिक्षकों को विश्वविद्यालय पैनल पर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ समस्याओं का सामना करने पर इलाज के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों में जाना चाहिए.’


शिक्षकों के अनुसार, कुलपति ने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और उनके बच्चों की सेमेस्टर फीस माफ करने से भी इनकार कर दिया था, यह सुविधा पहले शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए उपलब्ध थी.


क्या कहा वीसी ने?
इन चिंताओं का जवाब देते हुए, वीसी प्रोफेसर इराकी ने कहा कि विचाराधीन बैठक विशेष रूप से केयू कर्मचारियों और उनके बच्चों की एमफिल और पीएचडी की सेमेस्टर फीस को माफ करने के एकल-बिंदु एजेंडे पर आधारित थी.


प्रोफेसर इराकी ने कहा, 'बैठक में सिर्फ इसी मुद्दे पर चर्चा हुई. बैठक के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह सच नहीं है. ‘ उन्होंने जोर देकर कहा कि शुल्क केवल विश्वविद्यालय सिंडिकेट द्वारा ही माफ किया जा सकता है.


(इनपुट – न्यूज एजेंसी:  ANI)