China Drones Export News: अमेरिका और चीन के बीच तनातनी की बात नई नहीं है. कभी चीन सागर पर विवाद तो कभी ताइवान का मुद्दा. अमेरिका ने हाल ही में चीन को 28 हजार करोड़ के सैन्य पैकेज का ऐलान किया है जिसके बाद चीन ने साफ तौर पर अमेरिका से कहा कि अतीत से सीखने की जरूरत है. अमेरिका को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जो दोनों देशों के बीच तनाव की वजह बने,. इन सबके बीच अमेरिका के साथ तकनीकी जंग में चीन ने ड्रोन के एक्सपोर्ट को नियंत्रित करने का फैसला किया है. चीन ने अपने इस फैसले के पीछे तर्क देते हुए कहा है कि जिस तरह से अमेरिका की पहुंच तकनीक में तेजी से हो रही है उसे देखते हुए यह कदम उठाना जरूरी था.


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ड्रोन्स के मुद्दे पर चीन का फैसला


चीन के वाणिज्य मंत्री ने कहा कि यह नियंत्रण कुछ ड्रोन इंजन के साथ लेजर कम्यूनिकेशन और एंटी ड्रोन सिस्टम पर एक सितंबर से प्रभावी होगा. चीन ने अपने फैसले के पीछे अमेरिकी खतरों के साथ साथ वैश्विक शांति के लिए जरूरी बताया. बता दें कि ड्रोन के उत्पादन में चीन की अग्रणी भूमिका है और नो अमेरिका के बड़े सप्लायर्स में से एक है. यूएस के अधिकारियों के मुताबिक करीब 50 फीसद ड्रोन की बिक्री चीन स्थित कंपनी डीजेआई करती है. डीजेआई द्वारा बनाए गए ड्रोन्स का सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां बड़े पैमाने पर करती है.


सेमीकंडक्टर पर चीन- अमेरिका में पहले से तनातनी


चीन के इस फैसले पर डीजेआई का कहना है कि वो सरकार द्वारा बनाए गए नियम कानून का पालन करेगी. हमने कभी भी ऐसे प्रोडक्ट को ना तो डिजाइन ही और ना ही सैन्य इस्तेमाल के लिए बेचा है और ना ही उनके प्रोडक्ट का इस्तेमाल किसी भी सैन्य विवाद या युद्धग्रस्त देशों में किया है. ड्रोन टेक्नॉलजी को टेक वार के क्षेत्र में नया लड़ाई का नया इलाका बताया जा रहा है. इस समय सेमीकंडक्टर के मुद्दे पर दोनों देश आमने सामने हैं. वाशिंगटन वर्तमान में चीन के सेमीकंडक्टर, क्वांटम-कंप्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्रों में निवेश पर रोक लगाने और संभवतः उस पर रोक लगाने के लिए एक लंबे समय से विलंबित कार्यक्रम के प्रस्ताव को पूरा करने की योजना बना रहा है. बिडेन प्रशासन मजदूर दिवस तक कार्यकारी आदेश को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहा है. दोनों देशों के बीच रिश्ते लंबे समय से ठंडे बने हुए हैं. पिछले महीने, चीन द्वारा सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए आवश्यक दो दुर्लभ तत्वों पर निर्यात नियंत्रण लगाने के बाद दोनों देशों के बीच चिप युद्ध में एक नया मोड़ आ गया है.