China-Nepal Relations: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अगले महीने चीन दौरे पर जाने वाले हैं. मई के आखिर में प्रचंड भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने भारत के साथ बिजली के व्यापार की डील की थी. वैसी ही डील अब प्रचंड चीन के साथ करना चाहते हैं. बताया जा रहा है कि इस तरह से नेपाल के प्रधानमंत्री चीन के साथ संबंधों में बैलेंस बनाना चाहते हैं. प्रचंड का दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि बेल्ड एंड रोड प्रोजेक्ट को लेकर चीन और नेपाल के बीच विवाद जारी है. 


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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जिस तरह से नेपाल ने भारत के साथ सीमा पर ट्रांसमिशन लाइन बनाई है, उसी तरह वह रसउवा जिले में चीन के साथ बनाना चाहता है. माना जा रहा है कि प्रचंड की चीन यात्रा के दौरान इस पर दस्तखत हो सकते हैं. 


दरअसल कृषि के क्षेत्र में नेपाल अब चीन से सीखकर आगे बढ़ना चाहता है. कृषि क्षेत्र में ही उसने भारत के साथ भी हाथ मिलाया है. शनिवार को प्रचंड ने बताया था कि चीन के साथ नया बिजली व्यापार समझौता किया जाएगा.


'सकारात्मक बातचीत हुई है'


नेपाल के पीएम प्रचंड ने कहा, बिजली व्यापार को लेकर बांग्लादेश और चीन के साथ सकारात्मक चर्चा हुई है. जल्द ही अलग-अलग देशों के साथ हम डील पर साइन करेंगे. गौरतलब है कि प्रचंड यह भी कह चुके हैं कि वह भारत में एक टीम को जल्द भेजेंगे ताकि यह मालूम किया जा सके कि कृषि के क्षेत्र में कैसे सहयोग किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि कैमिकल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री के लिए भारत के साथ सहमति बनी है. जबकि चीन और नेपाल के संबंधों में बीआरआई के साथ-साथ 150 किलो सोने को लेकर टेंशन बनी हुई है. 


बीआरआई को लेकर विवाद


रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सोने की तस्करी में चीन की तरफ से समर्थित गुट का हाथ है. हॉन्ग कॉन्ग से चीन ने इस सोने को भारत भेजने के लिए मंगवाया था लेकिन उसे नेपाल पुलिस ने पकड़ लिया. इस मामले में चीन के कई नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है. बीआरआई को लेकर दोनों देशों के बीच भी विवाद चल रहा है. चीन ने दावा किया है कि बीआरआई के तहत पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया गया है. लेकिन नेपाल ने इससे इनकार कर दिया है. चीन प्रचंड के सामने ये मुद्दा भी उठा सकता है.