Pakistan Economic Crisis: आर्थिक तंगी और भुखमरी से जूझ रहा पाकिस्तान इन दिनों मुश्किल हालात में है. पाकिस्तान में आए दिन रोजमर्रा की जरूरतों के सामान भी आसमान छू रहे हैं, पेट्रोल-डीजल समेत कई जरूरी सामान आम लोगों की पहुंच से बाहर हो चुके हैं. आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से आईएमएफ का एक डेलिगेशन पाकिस्तान में रुका हुआ है और वहां के आर्थिक संकट का जायजा ले रहा है. वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के उच्च अधिकारी अक्सर मदद की गुहार लगाते रहते हैं.


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आईएमएफ का डेलिगेशन पाकिस्तान की मदद करने के लिए तैयार है लेकिन उसकी कुछ शर्ते हैं लेकिन ये शर्तें पाकिस्तान के लिए आगे कुआं और पीछे खाई जैसी महसूस हो रही है. अगर पाकिस्तान इनको मानता है तो पाकिस्तान में महंगाई और भी ज्यादा बढ़ सकती है. इसके साथ ही उन्हें रक्षा बजट भारी कटौती करनी पड़ेगी. मीडिया सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान जल्द आईएमएफ की सभी शर्तों के सामने घुटने टेक दे. बदहाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान ने देश में टैक्स को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. पाकिस्तान चाहता है कि डिफाल्टर के लिस्ट में उसका नाम न जाए, इसके लिए अब वह आईएमएफ के साथ डील करने में लगा हुआ है.


आपको बता दें कि पहले से ही पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर है. इसके बावजूद शहबाज सरकार ने पाकिस्तान में बिजली, गैस टैरिफ और सामान्य बिक्री दर में बढ़ोत्तरी की है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान की इन कोशिशों के बावजूद भी आईएमएफ ज्यादा खुश नजर नहीं आ रहा है. आईएमएफ चाहता है कि बिजली की कीमतों को 12.50 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 14 रुपये प्रति यूनिट कर दिया जाए. इसके साथ ही आईएमएफ चाहता है कि बिजली में दी जाने वाली सब्सिडी को भी खत्म कर दिया जाए. पाकिस्तान के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि शहबाज सरकार की आईएमएफ डेलीगेशन से टेक्निकल बातचीत पूरी हो चुकी है लेकिन नीतिगत स्तर पर बातें अभी भी जारी हैं.


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