JeM chief Maulana Masood Azhar: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को पत्र लिखकर आतंकी मसूद अजहर को गिरफ्तार करने के लिए कहा है. मसूद अजहर के पाकिस्तान में होने के सबूत भारत कई बार दे चुका है. लेकिन पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना इस बात से इनकार करती रही है. अब SCO बैठक से पहले पाकिस्तान ने चिट्ठी लिखकर खुद को आतंक पीड़ित बताने में जुट गया है. 


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खुद को पाक साफ करने में जुटा पाकिस्तान


आतंकियों को पनाह देने के लिए पाकिस्तान दुनियाभर में कुख्यात है, लेकिन खुद को पाक साफ दिखाने की उसकी पैंतरेबाजी कम होती नहीं दिख रही है. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को ऐसा पत्र लिख दिया जिसमें उसने आतंकी मसूद अजहर को गिरफ्तार करने की हिदायत दे दी है. भारतीय सुरक्षा एक्सपर्ट इसे कोरा बकवास करार दे रहे हैं.


एक्सपर्ट आलोक बंसल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जब उनको ग्रे लिस्ट से निकालने वाला है तो वो दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि वह मसूद के खिलाफ हैं. हालांकि काबुल को ये लिखना कि वो वहां छुपा हुआ है, पकड़कर दें तो काबुल में जो हुकुमत है वह भी तो पाकिस्तान का प्राक्सी है.


इतना ही नहीं पाकिस्तान ने FATF के दबाव के चलते हाल ही में लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशनल कमांडर साजिद मीर पर भी कार्रवाई की थी. चौंकाने वाली बात ये है कि साजिद को पाकिस्तान अब तक मरा हुआ बताता रहा है. मसूद अजहर भी लगातार पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर लेख लिखता है.


यह सभी को पता है कि लश्कर ने दो दशक में कई बार नाम बदला और पाकिस्तान में लगातार एक्टिव है. कुछ समय तक इसे जमाद उद दावा के नाम से जाना जाता था. लेकिन जब इसे बैन कर दिया गया, यह फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन के नाम से काम करने लगा. जब यह भी जांच के घेरे में आ गया तो इसका नाम अल्लाह हू अकबर तहरीर कर दिया गया.


पाकिस्तान का पत्र वाला यह पैंतरा ऐसे ही सामने नहीं आया है. इसके पीछे कारण है. पाकिस्तान पर नजर रखने वाले विषेशज्ञों के मुताबिक पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ग्रे लिस्टिंग में पाकिस्तान शामिल है. ऐसे में आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान के ऊपर भारी दबाव है.


इस दबाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एफएटीएफ की टीम ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया था जिसमें आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तानी कदमों को नाकाफी बताया गया था. अक्टूबर में 18-21 अक्टूबर को पेरिस में FATF मीटिंग होने वाली है. इस मीटिंग में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने पर फैसला होना है. 


पाकिस्तान का दौरा करने वाले एफएटीएफ अधिकारियों ने साफ तौर पर कह दिया है कि आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई नाकाफी है. इसीलिए मसूद अजहर को गिरफ्तार करने के लिए उसने पत्र लिखने का दिखावा किया है.


विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह मसूद को बचाने की साजिश का ही हिस्सा है, क्योंकि पाकिस्तान को अच्छी तरह मालूम है कि तालिबान हुकुमत मसूद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी. मसूद ने जैश के माध्यम से अफगानिस्तान में तालिबानी शासन पर खुशी भी जताई थी. अब तक आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई ना करने वाले पाकिस्तान की कुछ सच्चाईयां और जान लीजिए इस्लामाबाद स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक तबादलाबी द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के मुताबिक एफएटीएफ के 2008 से चले आ रे ग्रेलिस्ट में होने की वजह से पाकिस्तान को 38 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है. आईएमएफ के लोन होने के बाद भी उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई. ऐसे में इस दिखावे के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है.


उज्जबेकिस्तान की राजधानी समरकंद में 15-16 सितंबर को SCO की बैठक होने वाली है. इस बैठक में भारत आतंक के खिलाफ एक्शन की बात उठा सकता है. तो क्या इसी संभावना को देखते हुए पाकिस्तान ने अजहर की गिरफ्तारी की मांग उठाई है.


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