Pakistan Dam Scandal: पाकिस्तान में गजब खेल, बांध बनाने के लिए जमा किए 3 अरब 18 करोड़ रुपये, विज्ञापन पर खर्च कर दिए 5 अरब से भी ज्यादा
Pakistan News: पाकिस्तान में बाढ़ की तबाही के बीच बांध की मांग फिर से उठने लगी है. इस मांग ने ही देश के एक बड़े घोटाले को भी उजागड़ किया. बांध की मांग के बीच जब गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर प्रस्तावित डायमर-भाषा बांध के बारे में पूछा गया तो पता चला कि पिछली सरकार के वक्त में इसे बननाने के लिए जो फंड आया वो काम की जगह विज्ञापन में खत्म हो गया.
Pakistan Flood Crisis: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की एक समस्या खत्म नहीं होती कि दूसरी समस्या सामने आ जाती है. लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान इससे निपटने के लिए तमाम इंतजाम कर रही रहा था कि अचानक आई बाढ़ ने उसकी सारी उम्मीदें डुबाकर रख दीं. पाकिस्तान के अधिकतर इलाके इन दिनों बाढ़ की चपेट में हैं और जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. इससे निपटने के लिए बांध की मांग भी उठने लगी है, पर इन उठती मांगों की वजह से वहां एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. यह लापरवाही पाकिस्तान में प्रस्तावित एक बांध से जुड़ी हुई है. दरअसल, सिंधु नदी पर स्थित डायमर-भाषा बांध को लेकर जितना फंड जमा नहीं हुआ, उससे ज्यादा इसके विज्ञापन पर खर्च कर दिए गए. अब लोग इसे लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
इस तरह समझें, क्या है पूरा खेल
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) में सिंधु नदी पर डायमर-भाषा बांध बनना था. कई साल पहले इसकी कोशिश शुरू हुई, लेकिन यह धरातल पर कभी नहीं आया. पाकिस्तान की संसदीय मामलों की समिति (पीएसी) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बांध के निर्माण के लिए सरकार ने 40 मिलियन डॉलर यानी करीब 3 अरब 18 करोड़ रुपये जुटाए थे, लेकिन लापरवाही की हद ये रही कि इसके विज्ञापन पर ही 63 मिलियन डॉलर यानी करीब 5 अरब 2 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए. ऐसे में फंड की कमी की वजह से यह काम कभी पूरा हो ही नहीं पाया.
4 दशक से चल रही है कोशिश
यह बांध गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर स्थित है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में है. इस बांध को मूल रूप से 1980 के दशक में पूरा किया जाना था. लेकिन भारत के साथ क्षेत्रीय विवाद और स्थानीय लोगों के विरोध के चलते काम ठंडे बस्ते में चला गया. वर्ष 2018 में पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने बांध के निर्माण के लिए एक कोष की स्थापना की और पाकिस्तान के लोगों से चंदा देने की अपील की. जब यह प्लान बना तब इसे बनाने में आने वाला खर्च 14 बिलियन डॉलर पहुंच चुका था. लेकिन इसके महत्व को देखते हुए चंदे का कैंपेन जोरों पर चला. पाकिस्तान के हर एक नागरिक ने इसमें अपना अपना योगदान दिया. किसी की राशि बहुत ज्यादा थी तो किसी का जज्बा. कुल मिलाकर पाक क्रिकेट टीम, सेना, यूथ, सरकारी कर्मचारी और अन्य ने मिलकर योगदान दिया. 2018 में इमरान खान, जो उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे, ने कोष का संयुक्त नेतृत्व ग्रहण किया था.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अचानक बदल दी बात
2019 में मुख्य न्यायाधीश जब सेवानिवृत्त हुए थे, तब बांध के काम के लिए 6.3 बिलियन डॉलर लगभग 50 करोड़ रुपये की कमी थी. लेकिन उनके ताजा बयान ने देश की जनता को झकझोर कर रख दिया था और अब कोई चंदा देना नहीं चाह रहा था. उन्होंने कहा था कि यह फंड वास्तव में बांध बनाने के लिए नहीं बल्कि जागरूकता बढ़ाने के लिए है. इसके बाद चीजें गड़बड़ाती गईं और यह बांध भी विवादों में आ गया. पीएसी ने इस मामले को लेकर पिछले महीने पूर्व मुख्य न्यायाधीश को उनके तय समय में स्थापित बांध निधि के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया था.
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