Pakistan News: पाकिस्तान में 2022 में कम से कम 124 घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों और महिलाओं को जबरन धर्मांतरण कराए जाने का मामले सामने आया है. जिसकी रिपाेर्ट जानने के बाद आप भी हैरान हाे जाएंगे. रिपाेर्ट के मुताबिक धर्मांतरण कराए जाने में 81 हिंदू, 42 ईसाई और एक सिख शामिल थीं. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, एक ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर 2023 फैक्ट शीट से पता चला है कि 23 प्रतिशत लड़कियां 14 साल से कम उम्र की थीं. उनमें से 36 प्रतिशत की उम्र 14 से 18 साल के बीच थी और पीड़ितों में से केवल 12 प्रतिशत वयस्क थीं, जबकि पीड़ितों में से 28 प्रतिशत की उम्र की रिपोर्ट नहीं की गई है. ये क्रम अभी पाकिस्तान में लगातार चल रहा है.


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2022 में 65 प्रतिशत दर्ज हुए थे मामले


कुछ लाेग ताे इसमें  जल्द कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं. 2022 में सिंध में जबरन धर्म परिवर्तन के 65 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए थे. इसके बाद पंजाब में 33 प्रतिशत और खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में 0.8 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए. ये उन मामलाें का आंकड़ा है, जिनकी रिपाेर्ट दर्ज हुई है. बहुत से ऐसे भी मामले हैं, जिनकी रिपाेर्ट तक दर्ज नहीं हुई है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार फैक्ट शीट से पता चला कि वर्ष 2022 के दौरान पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक कंटेंट काफी बढ़ गए हैं और शिक्षा प्रणाली में कई सार्वकालिक और नई चुनौतियां सामने आईं हैं.


पांच मुद्दों को शामिल किया गया है


सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सीएसजी) की एक रिपोर्ट में धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रभावित करने वाले पांच प्रमुख मुद्दों को शामिल किया गया है, जिसमें शिक्षा प्रणाली में भेदभाव, जबरन धर्मांतरण, ईशनिंदा कानूनों का दुरुपयोग, अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना और अल्पसंख्यक कैदियों के लिए जेल में छूट शामिल हैं. इन मुद्दाें पर कब तक काेई सुनवाई हाेगी इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.


ईशनिंदा की सबसे ज्यादा घटनाएं कराची में


ईशनिंदा कानूनों के तहत 171 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 65 प्रतिशत मामले पंजाब में और 19 प्रतिशत सिंध में सामने आए थे. ईशनिंदा की सबसे ज्यादा घटनाएं कराची में देखी गई. इसके बाद चिनियोट, फैसलाबाद, गुजरांवाला, डेरा गाजी खान, ननकाना साहिब, लाहौर और शेखूपुरा का स्थान रहा है. ईशनिंदा पीड़ितों की सबसे बड़ी संख्या (88) मुस्लिम थी. उसके बाद 75 अहमदी, चार ईसाई और दो हिंदू थे, जबकि दो आरोपियों की धार्मिक पहचान का पता नहीं चल सका था.


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