नई दिल्ली: पाकिस्तान (Pakistan) ने 3 सितंबर को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ( IHC) में कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय पक्ष को मौजूद रहने का आमंत्रण भेजा है और इसी के साथ पाकिस्तान सरकार ने भारतीय नागरिक जाधव को ऐसे काउंसलर एक्सेस (Consular Access ) देने की पेशकश की है जिसमें संवाद के दौरान भाषा संबंधी कोई बाध्यता नहीं होगी. इस्लामाबाद की ओर से गुरुवार शाम नई दिल्ली को इस बावत जानकारी देते हुए भारत को अपनी पसंद का वकील भी चुनने को कहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पाकिस्तान सरकार ने अपने प्रस्ताव में काउंसलर एक्सेस की जानकारी देते हुए कहा कि इस दौरान जाधव और संबंधित शख्स के बीच कांच की दीवार (ग्लास बैरियर) भी नहीं होगी. जाधव के साथ भारतीय प्रतिनिधि का संवाद किसी भी भाषा में संभव होगा. जबकि इससे पहले आए प्रस्तावों में पाकिस्तान ने भाषा का माध्यम अंग्रेजी रखने की शर्त रखी थी. 


कैसे बदले पाकिस्तान के सुर
दरअसल इसी मामले को लेकर इमरान सरकार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा था, हाई कोर्ट ने इस मामले में सरकार को जाधव और भारत को कानूनी मदद का विकल्प मुहैया कराने समेत इस मामले में 3 न्यायालय मित्र (Amicus Curiae) नियुक्त करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट की इसी बेंच ने इसी के साथ ये मामला बड़ी बेंच को भेजने के आदेश दिए. वहीं अदालत ने बड़ी बेंच में अगली सुनवाई के लिए रजिस्ट्रार को 3 सितंबर को 2 बजे का वक्त तय करने का निर्देश दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि, वो इस मामले में आबिद हसन मिंटो, हामिद खान और मखदूम अली खान को इस मामले में सहयोग के लिए बतौर न्याय मित्र नियुक्त करते हैं, ताकि अंतर्राष्ट्रीय अदालत के आदेश की सही से पालना हो सके. इसी वजह से भारतीय समय के मुताबिक तीन सितंबर को दोपहर 2 बजे की सुनवाई में शामिल होने का प्रस्ताव भेजना पड़ा. 


LIVE TV



पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि अगर भारत कोई वकील नियुक्त करना चाहे तो इसका भी इंतजाम होना चाहिए और संघीय सरकार भी यही चाहती है कि भारत को अपनी पसंद का पाकिस्तानी वकील इस मामले में नियुक्त करना चाहिए. 


मई 2020 में क्या हुआ था ? 
मई महीने में पाकिस्तान  अंतरराष्‍ट्रीय अदालत (International Court of Justice) के पिछले साल के फैसले के मद्देनजर एक अध्यादेश लाया था. जिसके तहत भारत जाधव की ओर से मामले में पुनर्विचार याचिका लगा सकता था. हालांकि नई दिल्ली ने पाकिस्तानी अदालत में पक्ष रखने के लिए जिस पाकिस्तानी वकील को नियुक्त किया था उसे मामले से संबंधित सही कानूनी दस्तावेज नहीं सौपे गए थे.


भारत ने पाकिस्तानी अध्यादेश की मियाद खत्म होने के 2 दिन पहले याचिका दायर करने की कोशिश की थी, लेकिन तब पावर ऑफ अटॉर्नी समेत अन्य कानूनी दस्तावेज नहीं दिए गए थे. वहीं पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों की जाधव तक पहुंच में रोड़ा अटका दिया था. 


VIDEO