Pakistan Economy Crisis: कर्ज और आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत श्रीलंका जैसी होती जा रही है. पिछले 1 महीने से उस पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है. अब खबर आ रही है कि पाकिस्तान अपने बढ़ते कर्ज को चुकाने के लिए गिलगिट बाल्टिस्तान एरिया को एक तय समय के लिए चीन को पट्टे पर दे सकता है. बता दें कि श्रीलंका को भी कर्ज चुकाने के लिए अपन हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए पट्टे पर देना पड़ा था.


चीन के लिए होगा काफी फायदेमंद


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काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष मुमताज़ नागरी ने आशंका व्यक्त की है कि अलग-थलग गिलगिट बाल्टिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर क्षेत्र  भविष्य में विश्व शक्तियों के लिए मुकाबला करने को युद्ध का मैदान बन सकता है. गिलगिट बाल्टिस्तान को पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जे में लेना चीन की विस्तारवादी योजनाओं के लिए एक वरदान साबित होगा. वह इस क्षेत्र को इसलिए भी लेना पसंद करेगा क्योंकि यह चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के बीच में पड़ता है.


पाकिस्तान को फायदे से ज्यादा नुकसान


कुछ जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान को इस तरह के सौदे से बहुत फायदा होगा. अभी वह बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. इस कदम से उसकी मोटी कमाई होगी और उसे आर्थिक संकट से उबारने में मदद मिलेगी. वहीं कुछ बताते हैं कि इसमें जोखिम भी कम नहीं है. उसके इस कदम से संयुक्त राज्य अमेरिका नाराज हो जाएगा और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) इसके बाद उसे 3 बिलियन डॉलर की मदद देने से इनकार कर सकता है. यही नहीं इस कदम से आईएमएफ, विश्व बैंक और अन्य वैश्विक एजेंसियां भी पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर सकती हैं.


स्थानीय लोग कर सकते हैं विरोध


इन सबसे अलग अगर पाकिस्तान इस हिस्से को चीन को देता है तो उसे स्थानीय विरोध का सामना भी करना पड़ेगा क्योंकि सीपीईसी ने इस्लामाबाद के इशारे पर गिलगिट बाल्टिस्तान को जिस तरह से दरकिनार किया है, उससे यहां की आबादी पहले से ही काफी नाराज है. गिलगिट बाल्टिस्तान की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. इस क्षेत्र को केवल दो घंटे ही बिजली मिलती है. सरकार ने इसे पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं बना रखा है. दूसरी ओर अमेरिका इस क्षेत्र को छोड़ने के मूड में नहीं है, क्योंकि वह दक्षिण एशिया में संभावित चीनी विस्तार को रोकना चाहता है. अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका इस हिस्से में अपनी खुद की चौकी बनाना चाहता है.


अमेरिका के लिए भी है महत्वपूर्ण


रोड आइलैंड के लिए अमेरिकी कांग्रेस के उम्मीदवार बॉब लैंसिया ने रिपोर्ट के अनुसार कहा कि, "अगर गिलगिट-बाल्टिस्तान भारत में होता और बलूचिस्तान स्वतंत्र होता. इससे अमेरिका को अफगानिस्तान में फायदा हो सकता था." उन्होंने यह भी कहा कि, अगर बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश होता, तो अमेरिका इसका इस्तेमाल पाकिस्तान पर निर्भर रहने के बजाय अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की आपूर्ति के लिए कर सकता था.