इस्लामाबाद: इमरान खान (Imran Khan) का ‘नया पाकिस्तान’ अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) के मामले में भी निचले पायदान पर है. एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान (Pakistan) के लोगों को अपने विचार व्यक्त करने में कई तरह की बंदिशों का सामना करना पड़ता है. खासकर पिछले साल स्थिति बेहद खराब रही थी. मीडिया मैटर्स फॉर डेमोक्रेसी (MMFD) ने ‘पाकिस्तान फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन रिपोर्ट 2020’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाक में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में गिरावट देखी गई है.


हर Field में खराब प्रदर्शन


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रिपोर्ट लॉन्च के मौके पर बोलते हुए यूरोपीय संघ (ईयू) की पाकिस्तान में तैनात राजदूत एंड्रॉला किमिनारा (Androulla Kaminara) ने कहा कि यह रिपोर्ट पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की आजादी का व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है और कुछ चिंताजनक ट्रेंड्स की ओर इशारा करती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने ‘फ्री स्पीच’ की स्थिति का आकलन करने वाले सभी क्षेत्रों में बेहद खराब प्रदर्शन किया है. 


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100 में से मिले 30 अंक


फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन एसेसमेंट इंडेक्स में पाकिस्तान को 100 में से 30 अंक मिले, जो दर्शाता है कि पिछले बारह महीनों में देश में अभिव्यक्ति की आजादी की स्थिति खराब रही है. पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की आजादी की स्थिति का मूल्यांकन कानून व्यवस्था, प्रेस स्वतंत्रता, डिजिटल अभिव्यक्ति, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति आदि के आधार पर किया गया. पाकिस्तान फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन रिपोर्ट 2020 को एक वेबिनार के माध्यम से लॉन्च किया गया. इस दौरान राजदूत एंड्रॉला किमिनारा ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी मौलिक अधिकारों के यूरोपीय चार्टर में निहित है. 


Journalists बन रहे निशाना 


राजदूत ने आगे कहा कि पाकिस्तान में पत्रकारों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. उन पर हमले बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय से पत्रकार शारीरिक, कानूनी और डिजिटल खतरों का सामना कर रहे हैं. पिछले साल मीडिया से संबंधित कम से कम आठ लोग मारे गए. 36 पत्रकारों की हत्या कर दी गई, 10 को गिरफ्तार कर लिया गया और न्यूज रिपोर्टिंग और ऑनलाइन अभिव्यक्ति के संबंध में मनमाने ढंग से कई को हिरासत में लिया गया. राजनीतिक विषयों और सरकार के कोरोना प्रबंधन पर रिपोर्ट करने वाली महिला पत्रकारों को खासतौर पर निशाना बनाया गया.


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