Pakistan army chief:  साल 2001 की बात है जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, शिखर सम्मेलन के लिए आगरा में मिले. उस वक्‍त मुशर्रफ अपनी पत्नी  को भी साथ लेकर आए थे. उनका कार्यक्रम ऐसा था कि वे आगरा से सीधे अजमेर जाने वाले थे, लेकिन जब तत्‍कालिन विदेश मंत्री सुषमा स्‍वरान ने प्रोटोकॉल तोड़ा तो उसके बाद पाकिस्तान ने भी इस पर रिएक्ट किया. इसके बाद शिखर सम्मेलन के परिणाम से पहले ही परवेज मुशर्रफ ने सभी वरिष्ठ संपादकों के साथ बात की और उसके बाद ही शिखर सम्मेलन समाप्त हो गया. इससे पहले उन्‍होंने और उनकी पत्नी ने ताजमहल में फोटो खिंचवाई थीं.


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इस वजह से रद्द हो गया अजमेर का दौरा


आगरा शिखर सम्‍मेलन के बाद वे और उनकी पत्नी अजमेर शरीफ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जाने वाले थे, लेकिन बीच में ही बातचीत विफल हो गई. उसके बाद उन्‍होंने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया. हालांकि, उनकी वाइफ फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर जरूर गईं थीं.


फेल क्यों हुई बातचीत?


सोशल वर्कर विजय उपाध्याय, इंडिया टुडे टीवी को बताते हैं कि जब जुलाई 2001 में आगरा समिट हुआ तो उस वक्‍त दुनिया की निगाहें इसके नतीजे पर टिकी हुई थीं और दुनिया की मीडिया यहां डेरा डाल कर बैठी हुई थी. उस वक्‍त नतीजे आने से पहले ही तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रोटोकॉल तोड़ दिया था और प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, उससे ऐसे कयास लगाए कि इसकी मामले को लेकर पाकिस्तानी खेमा भी प्रतिक्रिया देगा. 


मुशर्रफ को झेलना पड़ा था विरोध


आपको बता दें कि जब मुशर्रफ आगरा पहुंचे थे तो उन्‍हें वहां विरोध का सामना करना पड़ा था क्‍योंकि पाकिस्तान की जेलों में जो युद्धबंदी बंद थे. उनके परिवार वालों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस बारे में मीडिया ने भी मुशर्रफ से सवाल किया था तो वे काफी असहज नजर दिखे थे. इसके बाद मुशर्रफ ने थोड़ा संयम बरता और मीडिया से कहा कि वह खुद भी फौजी हैं और उन जवानों और उनके परिवार वालों की दिक्कत समझते हैं. उस वक्‍त पाकिस्तान की जेल में 54 भारतीय युद्धबंदी थे.


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