IMF funding deal: पाकिस्तान के लिए `दुश्मन` बने मुस्लिम देश, बुरे वक्त में काट लिया किनारा!
Pakistan economic crisis: भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इन दिनों अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तान के इतिहास में अब तक इतनी बुरी स्थिति कभी भी नहीं आई थी. पाकिस्तान की जनता महंगाई की मार से त्रस्त है, वहीं दूसरी ओर जरूरी सामानों के दाम भी आसमान छूते जा रहे हैं. पेट्रोल और डीजल जैसी जरूरी चीज भी आम लोगों के पहुंच से बाहर हो चुकी है. पाकिस्तान की मदद करने के लिए आईएमएफ ने एक शर्त रखी है जिसमें उसे खाड़ी मुल्कों से मदद लेनी होगी. इसके तहत मुस्लिम मुल्कों को पाकिस्तान में निवेश करना होगा लेकिन खाड़ी मुल्क फिलहाल इस मूड में नहीं दिख रहे हैं.
कर्ज में डूबे पाकिस्तान को उसके दोस्तों से भी मदद नहीं मिल रही है. आपको बता दें कि कर्ज में डूबा पाकिस्तान इन दिनों महंगाई और भुखमरी की मार झेल रहा है. पाकिस्तान की जनता जरूरी सामनों की भी मोहताज हो गई है. पड़ोसी मुल्क में जरूरी सामानों के दाम भी आसमान छूते जा रहे हैं.
अपने देश की आर्थिक हालत सुधारने के लिए पाकिस्तान खाड़ी मुल्कों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है लेकिन ये मुस्लिम मुल्क पाकिस्तान की मदद करने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं. पाकिस्तान के एक अखबार की मानें तो आईएमएफ पाकिस्तान के दोस्त कहे जाने वाले खाड़ी मुल्कों से यह श्योरिटी चाहता है कि वह पाकिस्तान में निवेश करें, तभी आईएमएफ पाकिस्तान की मदद करेगा.
विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर खाड़ी देशों ने पाकिस्तान की मदद नहीं की तो पाक मुश्किल में आ सकता है और कर्ज न चुका पाने की स्थिति में उसे डिफाल्टर भी घोषित किया जा सकता है. मौजूदा पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है. इससे पहले पाकिस्तान में इतनी गंभीर स्थिति कभी पैदा नहीं हुई थी.
पाकिस्तान को अपनी मदद के लिए सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर की ओर देखना पड़ रहा है. अगर पाकिस्तान इन मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल नहीं कर पाता है तो उसके सामने बड़ी दिक्कत आ सकती है और आईएमएफ मदद से पीछे भी हट सकता है.
पाकिस्तान में आईएमएफ का डेलिगेशन अपनी सातवीं और आठवीं समीक्षा कर चुका है और नौंवी समीक्षा की तैयारी में है लेकिन उसने कई शर्तें भी पाकिस्तान के सामने रखी हैं जिनमें पाकिस्तान के रक्षा बजट में कटौती से लेकर निर्यात टैक्स में छूट शामिल है. आईएमएफ ने अपने लिस्ट में नई शर्तों को जगह दी है जिनमें से खाड़ी मुल्कों के साथ बातचीत को भी शामिल किया गया है.
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