Pak Economic Crisis: पाकिस्तान के आर्थिक हालात में सुधार नहीं, IMF के बाद अब ADB से मांगा 24 अरब रुपये का कर्ज
Pakistan News: नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को पहले ही जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बेलआउट प्लान मिल चुका है, लेकिन अब देश को फिर पैसों की जरुरत आन पड़ी है.
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से जल परियोजना के लिए 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर (24,78,45,75,000.00 INR) का कर्ज देने का अनुरोध किया है. नकदी की कमी से जूझ रहे देश को पहले ही जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बेलआउट प्लान मिल चुका है, इसके बावजूद पाकिस्तान कुर्रम तांगी एकीकृत जल संसाधन विकास परियोजना (Kurram Tangi Integrated Water Resources Development project) के लिए कर्च की तलाश में है. इस परियोजना का लक्ष्य देश में ऊर्जा, जल और खाद्य सुरक्षा में सुधार करना है.
बैंक द्वारा जारी परियोजना के दस्तावेज़ के अनुसार, एडीबी द्वारा 2024 में ऋण स्वीकृत करने की उम्मीद है. प्रस्तावित परियोजना पाकिस्तान की राष्ट्रीय गरीबी निवारण रणनीति के दो रणनीतिक स्तंभों (कृषि में उत्पादकता और मूल्यवर्धन बढ़ाना और एकीकृत ऊर्जा विकास कार्यक्रम) में सीधे योगदान देगी.
क्या है पूरी जल परियोजना
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, इस जल परियोजना में कुर्रम नदी पर 1,480 मिलियन क्यूबिक मीटर (एम3) की जल भंडारण क्षमता वाला 95 मीटर ऊंचा बांध और 65 मेगावाट जलविद्युत उत्पन्न करने के लिए तीन छोटे जलविद्युत बिजलीघर बनाने की योजना है.
इस परियोजना से 27,400 हेक्टेयर नये कमांड क्षेत्र को सिंचित किया जा सकेगा; और मौजूदा 155,444 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र में सिंचाई जल आपूर्ति में सुधार कर सकता है.
इसलिए, परियोजना का प्रस्तावित हस्तक्षेप देश में कृषि उत्पादकता, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में सुधार करते हुए आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे.
कुर्रम तांगी परियोजना सिंचाई के बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी, जो सीधे कृषि उत्पादकता में सुधार में योगदान देगी. डॉन के अनुसार, यह खेत से बाजार तक सड़कों, स्कूलों, बुनियादी स्वास्थ्य इकाइयों और जल आपूर्ति का निर्माण और उन्नयन करते हुए आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी.
दुनिभार भर से कर्ज मांग रहा पाकिस्तान?
इससे पहले, पाकिस्तान ने 12 जुलाई को आईएमएफ से 3 अरब अमेरिकी डॉलर का बेलआउट प्लान हासिल किया था और फिर यूएई से कर्ज प्राप्त किया था. आईएमएफ समझौते के बाद सऊदी अरब ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर जमा किए, और यूएई ने पहले ही 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई थी. इसके अतिरिक्त, चीन ने जुलाई में 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण लिया.
हालाँकि, ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को कर्ज़ के दुष्चक्र से बाहर निकलने में ये बेलआउट कोई बड़ी मदद नहीं होगी. द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि आईएमएफ समझौते ने कम से कम अस्थायी रूप से, पाकिस्तान को डिफ़ॉल्ट होने से रोक दिया है, लेकिन एक दुष्चक्र भी शुरू कर दिया है जो देश के इतिहास में पहले भी कुछ दर्जन बार हो चुका है.
(इनपुट – ANI )