इस्लामाबाद: पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर पाकिस्तान सरकार पर बढ़े वैश्विक दबाव के बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि उनके देश में 'जिहादी संगठनों और जिहादी संस्कृति' के लिए कोई जगह नहीं है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने बताया कि खान ने यहां संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों से कहा कि भारत की राजग सरकार पाकिस्तान के खिलाफ नफरत की राजनीति के बल पर आम चुनाव जीतना चाहती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने चेताया कि नियंत्रण रेखा पर तब तक सुरक्षा संबधी खतरा बना रहेगा, जब तक भारत में चुनाव नहीं हो जाते. उन्होंने देश से हर समय तैयार रहने को कहा. खान ने कहा कि देश के सुरक्षा बल हमेशा तैयार हैं और वे किसी भी सैन्य आक्रामकता की स्थिति में करारा जवाब देंगे.


‘डॉन’ ने खबर दी कि इमरान ने जिहादी इतिहास और 'जिहादी संस्कृति' का जिक्र करते हुए कहा, 'ये समूह अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिकी नेतृत्व वाले अफगानिस्तान युद्ध के दिनों से अस्तित्व में हैं और दशकों से यहां से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते आए हैं.'


उन्होंने कहा कि उनके देश में इस प्रकार के किसी भी संगठन के लिए कोई जगह नहीं है. पाकिस्तान दुनिया को यह भरोसा दिलाना चाहता है कि वह केवल शांति प्रिय देश ही नहीं है, बल्कि वह लघुकालीन एवं दीर्घकालीन नीतियों से इस 'जिहादी संस्कृति' एवं आंतकवाद को समाप्त करने को लेकर भी ईमानदार है.



खान ने कहा कि भारत पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) की काली सूची में डालने की कोशिश कर रहा है और यदि ऐसा होता है तो देश को कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.


खान ने देश में कानून-व्यवस्था के बारे में कहा कि प्रतिबंधित संगठनों को बहुत पहले ही नष्ट कर दिया जाना चाहिए था लेकिन यह उनकी सरकार है जो ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए भारी धन खर्च कर रही है.



उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय कार्य योजना पर सहमति जताई है और आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है. उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा रही है और सरकार पाकिस्तान की जमीन पर इस प्रकार की गतिविधियों की अनुमति नहीं दे सकती.


उल्लेखनीय है कि पुलवामा में 14 फरवरी को हुए पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है.