अमेरिका ने दिखाई चीन को ताकत, शंघाई के बेहद करीब पहुंचे US के फाइटर जेट
अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देश न ही कूटनीतिक तौर पर नरम हो रहे हैं और न ही सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने से रुक रहे हैं.
नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देश न ही कूटनीतिक तौर पर नरम हो रहे हैं और न ही सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने से रुक रहे हैं. अमेरिका चीन कड़े और साफ संदेश देता नजर आ रहा है. अमेरिका के फाइटर जेट चीन के बेहद करीब पहुंच गए हैं. एक जंगी जहाज शंघाई से महज 100 किमी दूर पहुंचा है. अमेरिका के लड़ाकू विमान शंघाई के करीब होकर भी लौट आए और चीन को खबर तक नहीं हुई.
अमेरिका के फाइटर जेट ने ताइवान से उड़ान भारी और देखते ही देखते शंघाई के करीब पहुंच गया और चीन देखता ही रह गया. ये कोई आम बात नहीं है. ये चीन को अमेरिका का कड़ संदेश है की सुधर जाओ नहीं को घर में घुसकर मारेंगे. अमेरिकी नेवी का P-8A शंघाई के पास ऑपरेट कर रहा था. P-8A शंघाई के 76.5 किमी नजदीक आया और इसके साथ ही अमेरिका का एक और फाइटर जेट चीन की सीमा ने दाखिल हो चुका था. जो शंघाई से सिर्फ 106 किलोमीटर ही दूर था. US P-8A एक एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट है.
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इस बारे में पहले रविवार सुबह को ट्वीट किया गया और फिर बताया कि रेकी करने वाले प्लेन फुजियान और ताइवान स्ट्रेट के दक्षिणी हिस्से तक पहुंचकर वापस जा रहा है. अमेरिका ने अब साउथ चाइन सी से आगे चीन की टेंशन बढ़ाने के लिए शंघाई और बीजिंग तक का टारगेट सेट कर दिया है. अब अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के रूख आक्रमक है और संदेश साफ है कि अब बदले की बारी है. लगातार 12 दिन से अमेरिकी सेना के प्लेन चीन के पास उड़ान भर रहे हैं.
अमेरिका ने पिछले दिनों युद्ध की परिस्थितियों में अपनी तैयारियों को टेस्ट करते हुए लंबी दूरी तक मार करने वाले 6 बॉमर को भी साउथ चाइना सी के करीब उड़ाया था. वहीं साउथ चाइना सी में यूएस नेवी जोरदार ताकत दिखा रही है. चीनी धमकी के बावजूद अमेरिका के फाइटर जेट साउथ चाइना सी के विवादित इलाके में गर्जना करते रहते हैं और चीन देखता रह जाता है. साउथ चाइना सी में अमेरिका ने अपने दो-दो युद्ध पोत भी तैनात किए थे. USS रोनाल्ड रीगन और USS निमित्ज को दक्षिण चीन सागर में तैनात है. और खुले तौर पर अमेरिका ये कह चुका है कि ये कदम इंडो पेसिफिक इलाके की रक्षा के लिए है. अमेरिका के इस कदम से साफ है कि वो अब दक्षिण चीन सागर में चीन की किसी भी तरह की विस्तारवादी चाल को बर्दाश्त नहीं करेगा.