Xi Jinping: झाउ एन लाइ के नक्शेकदम पर जिनपिंग, चीन की मंशा पर शक की दो वजह
Xi Jinping: क्या चीन कभी भारत का दोस्त हो सकता है. इस सवाल के जवाब में अलग अलग तरह के तर्क पेश किए जाते हैं. हालांकि अगर आप 1959 से 2023 तक के संबंधों पर गौर करें तो चीन की मंशा पर शक स्वाभाविक तौर पर होने लगता है. हाल ही में ब्रिक्स में शी जिनपिंग ने भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ने की बात तो कही लेकिन भारतीय जमीन पर अपना दावा पेश करने से भी बाज नहीं आते.
India China Relationship: पूरी दुनिया में चीन वो देश है जिसका अपने सभी पड़ोसियों से विवाद है. कर्ज के बदले गरीब देशों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश करना. ताकतवर देशों के साथ छद्म युद्ध लड़ना उसकी नीति का अहम हिस्सा है. अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो पंचशील सिद्धांत पर हामी भरने के बाद 1959 में झाउ एन लाइ ने कहा कि उनका देश मैक्मोहन लाइन को मानता ही नहीं है. यह एक तरह से भारत के साथ टकराव की शुरुआत थी. उसका असर भी 1962 की लड़ाई में नजर आया. 2023 एडिशन मैप में चीन ने एक बार फिर अपने मैप में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को दिखाया है.
कभी डोकलाम तो कभी गलवान
1962 की लड़ाई के बाद से ही भारत के लिए चीन अपना दोहरा व्यवहार समय समय पर दिखाता रहा है. 2017 में उसकी तरफ से भारत-भूटान-चीन ट्राइ जंक्शन पर स्थिति डोकलाम पर विवाद खड़ा किया लेकिन भारत ने भी तय कर लिया था कि अब पीछे नहीं हटने वाले. भारत के रुख के बाद चीन को झुकना पड़ा. लेकिन नीयत साफ नहीं रही. अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख में रह रह कर घुसपैठ की कोशिश से चीन यह जताता रहा कि टक्कर ना लो. यह बात अलग है कि चीन की किसी भी हिमाकत का भारत बेजोड़ जवाब देता रहता है.
एलएसी को नहीं मानता है चीन
2020 में लद्दाख के गलवान में चीनी सैनिकों की खूनी झड़प को पूरी दुनिया ने देखा जब चीनी सैनिक चुपके से भारतीय सीमा में दाखिल हो गए थे. भारतीय सेना ने शौर्य का उच्चतम उदाहरण पेश करते हुए चीनी सैनिकों को पीछे ढकेला. उस घटना के बाद चीन और भारत में कमांडर स्तर की बातचीत हो रही है. चीन सभी फोरम पर यह तो कहता है कि भारत के साथ मिलकर हम दुनिया को नई दिशा दे सकते हैं लेकिन जिस तरह से भारतीय जमीन पर दावा किया गया है वो शी जिनपिंग की मंशा को जाहिर करता है.हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई थी जिसमें संबंधों को सामान्य बनाते हुए आगे बढ़ने पर जोर दिया गया. लेकिन चीन की तरफ से नापाक चाल इशारा साफ है कि चीन, हाथी की तरह है जिसके खाने और दिखाने के दांत अलग अलग होते हैं.