प्रदूषण से बढ़ी अस्थमा की मरीजों की संख्या, ऐसे करें बचाव
प्रदूषण के इस स्तर के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या तीनगुना बढ़ गई है और यह संख्या और यदि प्रदूषण में सुधार नहीं हुआ तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है.
कम से कम निकले बाहर
डॉक्टर्स का कहना कि ऐसे समय में यथासंभव घर के अंदर ही रहें. आउटडोर गतिविधियां जैसे रनिंग, जॉगिंग, साइक्लिंग, जिम आदि न करें. नवम्बर से जनवरी के बीच सुबह के समय घर से बाहर न जाएं. धूल की एलर्जी से बचने के लिए अपने मुंह को रूमाल से ढक कर रखें.
बहुत घातक है ये प्रदूषण
वायु प्रदूषण बेहद घातक होने के कारण कई तरह की बीमारियां और यहां तक कि अपंगता भी हो सकती है. यह ब्रोंकोस्पाज्म, साइनुसाइटिस, सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है. सांस के साथ अधिक मात्रा में कार्बन के शरीर में जाने से व्यक्ति थकान महसूस करने लगता है.
इनहेलर रखें पास
अस्थमा के मरीज अपने साथ हमेशा इनहेलर रखें. अच्छी गुणवत्ता का मास्क पहनें, जो पीएम 2.5 को फिल्टर कर सके, ताकि आपके फेफड़ों पर स्मॉग का असर न हो. सांस लेने में परेशानी हो तो भाप लें. विटामिन सी, ई और बीटा-कैरोटीन का सेवन करें, इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. अगर आपको कोई भी परेशानी हो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
एयर-प्यूरीफाइंग पौधे लगाए
घर के भीतर की हवा को साफ करने के लिए प्राकृतिक एयर-प्यूरीफाइंग पौधे लगा सकते हैं, जैसे मनी प्लांट, एलो वेरा और स्पाइडर प्लांट. ये सभी पौधे अपने आस-पास की हवा को साफ करते हैं. घर में केमिकल फ्रेशनर या क्लीनर का इस्तेमाल न करें, इसके अलावा बंद कमरे में मोमबत्ती या धुंए वाली चीजें न जलाएं.
डाइट का रखें ध्यान
इन दिनों विटामिन सी, मैग्नीशियम और ओमेगा फैटी एसिड से युक्त फलों का सेवन करें, तथा पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं.