मां ने मजाक में कहा था और शिवांगी ने फतह कर डाली दुनिया की सबसे ऊंची चोटी
सबसे कम उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाली शिवांगी की कहानी बेहद दिलचस्प है.
Shivani pathak made history
पूरे संसार में हरियाणा की शिवांगी पाठक ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी एवरेस्ट को फतह कर ऐसी मिसाल पेश की है जो लड़कियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराने वाली शिवांगी भारत की सबसे कम उम्र की लड़की है जिसने ऐसी उपलब्धि हासिल की हो. शिवांगी का यह विजय अभियान काफी कठिन रहा जिसने पिछले महीने की 15 तारीख को एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की. (फोटो : Everester Shivangi Pathak / Facebook)
Shivani pathak on everest
एक बार उससे संपर्क टूट जाने पर सभी खामोश थे और यह कयास लगाया जाने लगा कि दुर्गम पर्वतीय प्रदेश में शिवांगी की जीवन लीला समाप्त हो गई होगी. मगर 10 घंटे बाद पर्वत शिखर से खबर मिली कि शिवांगी एवरेस्ट फतह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय किशोरी बन गई है. शिवांगी की मां आरती ने कहा, "हम उसकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित थे. हमारे पूरे परिवार में किसी ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया. सभी ईश्वर से उसकी सलामती की दुआ कर रहे थे. लेकिन वह शिखर पर पहुंच चुकी थी. इस बात को जानकर हमें जो खुशी मिली उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती. हमें उसपर गर्व है. उसने जो ठाना उसे पूरा किया." (फोटो : IANS)
Shivani pathak with mothers sarcasm
पूरे भारत में अब एक मशहूर शख्सियत बन चुकी महत्वाकांक्षी लड़की शिवांगी की यह यात्रा उसकी मां के द्वारा किए गए एक परिहास से आरंभ हुई. आरती ने बताया, "हमने एवरेस्ट फतह करने वाली ममता सोधा को पुलिस उपाधीक्षक नियुक्त किए जाने की खबर सुनी. हमने परिहास में शिवांगी से कहा कि वह ऐसा ही कोई बड़ा काम कर दिखाए." बाद में शिवांगी ने भारत की पहली विकलांग महिला के एवरेस्ट फतह के कुछ वीडियो देखे, जिससे प्रेरणा पाकर उसने नवंबर 2016 में एवरेस्ट की चढ़ाई करने का फैसला लिया. (फोटो : Everester Shivangi Pathak / Facebook
Shivani pathak difficult start
इस चुनौती को स्वीकार करने की तैयारी में उसने खुद को प्रशिक्षित किया. शिवांगी ने अपने इस सफर की शुरुआत को याद करते हुए बताया, "मेरी प्रशिक्षिका ने तो पहले मेरे बालों के स्टाइल पर तंज कसा और कहा कि क्या तुम खेल के मैदान में आई हो या फैशन वॉक करने. मैं मोटी थी और मेरे बाल लंबे थे. मुझे चोट पहुंची लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की क्योंकि मैं बड़ा सपना देख रही थी." शिवांगी एक अप्रैल को नेपाल गई और पांच अप्रैल को वहां बेस कैंप पहुंची. दो सप्ताह वहां के वातावरण में रहने के बाद आखिरकार 10 मई को उसका एवरेस्ट मिशन आरंभ हुआ. (फोटो : IANS)
Shivani pathak worked hard
कठिन परिश्रम और लगन से आखिरकार उसका सपना साकार हुआ. उसने अपने बाल छोटे करवाए और अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में कड़ी मेहनत करने लगी. पहले उसका वजन 65 किलोग्राम था जो दो साल बाद चोटी की चढ़ाई करते समय घटकर महज 48 किलोग्राम रह गया. शिवांगी ने बताया, "पर्वतारोहण की जरूरतों के अनुसार मैंने अपने आपको ढाला. मैंने बाल छोटे करवाए और उसी प्रशिक्षिका रिंकू पन्नू के निर्देशन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया. वह मेरी गुरु है. उन्होंने मेरा उत्साह बढ़ाया. मैं उनकी बहुत आभारी हूं." मुस्कराती हुई शिवांगी ने बताया, "मेरे बाल बहुत छोटे थे, मैदान में लड़कियां मुझे लड़का समझ लेती थी और मेरे ऊपर ताने मारती थी." (फोटो : IANS)
Shivani pathak intense training
रोज वह छह से सात घंटे प्रशिक्षण लेती थी इसलिए वह स्कूल नहीं जा पाती थी और अपना पूरा वक्त एवरेस्ट की चढ़ाई की तैयारी में ही गुजारती थी. प्रशिक्षण सत्र के दौरान वह 10 किलोमीटर की दौड़ लगाती थी और भारोत्तोलन, रस्सीकूद करती थी. वह 20 किलोग्राम का भार पीठ पर लाद कर दौड़ती थी. शिवांगी ने बताया, "मैंने अपनी प्रशिक्षिका से वादा था कि मैं 5,000 बार रस्सी कूद करुंगी मगर मैं उसे पूरा नहीं कर पाई. एक दिन मैं रात 11.30 बजे ही जग गई क्योंकि 200 बार कूदना बाकी रह गया था और उसे आधी रात से पहले पूरा करना था." पन्नू ने चकित होकर कहा, "देखो इसका समर्पण." (फोटो : IANS)
Shivani pathak inspires girls
एवरेस्ट विजेता शिवांगी ने कहा, "मेरा मानना है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं और कहीं भी जा सकती हैं. बस उनको मन में ठान लेना है कि उन्हें यह काम करना है. साथ ही उस काम को पूरा करने के प्रति उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति व समर्पण होना चाहिए." उसने हर माता-पिता से अपनी बेटी को प्रोत्साहित करने की अपील की ताकि कोई लड़की अपने आपको किसी काम में लड़के से कम नहीं महसूस करे. (फोटो : ANI)