INS Vagsheer: समंदर में दुश्मन की आंखें नोच लेगी भारत की `चील`, पलक झपकते ही पानी में बन जाएगी कब्र

INS Vagsheer: हवा और जमीनी लड़ाई तो अकसर आपने देखी होगी. लेकिन पानी की लड़ाई भी उतनी ही घातक होती है. जमीन और आसमान में तो भारत खुद को लगातार मजबूत कर ही रहा है. समंदर में भी वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है. अगले साल जनवरी में भारतीय नेवी को हंटर-किलर पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर (INS Vagsheer) मिल सकती है. इसके टेस्ट पिछले साल 18 मई से चल रहे हैं, जो अब पूरे होने वाले हैं. प्रोजेक्ट 75 के तहत कलवारी क्लास की इस सबमरीन को बनाया गया है, जो इस क्लास की छठी पनडुब्बी है. अब इस पनडुब्बी की कुछ खासियतों का बारे में जानते हैं.

रचित कुमार Dec 12, 2024, 20:04 PM IST
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INS वाघशीर डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है, जिसे 20 अप्रैल 2022 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड स्थित कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन से समंदर में भेजा गया था. इसमें ट्रैकिंग सिस्टम और एडवांस नेगिवेशन लगा है. साथ ही यह कई घातक हथियारों से भी लैस है.

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फिलहाल 5 एडवांस सबमरीन्स प्रोजेक्ट 75 के तहत भारत की रक्षा में जुटी हैं. नेवी में इस पनडुब्बी के शामिल होने के बाद भारत की समंदर में ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी. यह पनडुब्बी समंदर में बारूदी सुरंग बिछाना, सतह-विरोधी जंग, खुफिया जानकारी जुटाना, सबमरीन रोधी जंग, इलाके की निगरानी जैसे मिशन्स को अंजाम दे सकती है. किसी भी परिस्थिति में यह पनडुब्बी ऑपरेट कर सके, इसे उसी तरह से डिजाइन किया गया है. आइए अब आपको इस सबमरीन के कुछ खासियतों के बारे में बताते हैं. 

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इस सबमरीन की लंबाई 221 फीट और ऊंचाई 40 फीट है. इसमें 360 बैटरी सेल्स और 4 एमटीयू 12वी 396 SE84 डीजल इंजन लगा है. सरफेस पर इसकी अधिकतम रफ्तार 20 किमी प्रति घंटा और पानी में 37 किमी प्रति घंटा तक दौड़ सकती है. 

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समुद्र में यह 30 बारूदी सुरंग बिछाने के अलावा  50 दिनों तक पानी के अंदर भी रह सकती है. इसमें 35 सेलर और 8 सैन्य अधिकारी रह सकते हैं. यह एंटी टॉरपीड काउंटरमेजर सिस्टम से लैस है. इसमें 6 टॉरपीडो ट्यूब्स हैं, जो 533 मिमी के हैं. इससे एंटी शिप मिसाइलें भी छोड़ी जा सकती हैं. 

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जब आईएनएस वाघशीर नौसेना में शामिल होगी, तब कलवारी क्लास की 6 अटैक पनडुब्बियां उसका हिस्सा हो जाएंगी. ये हैं- आईएनएस वेला, आईएनएस वागीर, आईएनएस करंज, आईएनएस खंडेरी और आईएनएस कलवारी.

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