Explainer: क्या हम किसी ब्लैक होल में जी रहे हैं? विज्ञान भी नहीं करता इस डरावनी संभावना से इनकार
Black Hole Hologram Theory: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हम किसी ब्लैक होल के भीतर रहते हैं. एक सिद्धांत कहता है कि जिस ब्रह्मांड में हम रहते हैं, वह असल में एक होलोग्राम है. वैज्ञानिक इस संभावना से साफ तौर पर इनकार नहीं करते. कम से कम, सैद्धांतिक रूप से तो ऐसा संभव है. अगर होलोग्राम थ्योरी को सही मानें तो फिजिक्स की बड़ी-बड़ी समस्याएं आसानी से समझाई जा सकती हैं.
ब्लैक होल में समाया पूरा ब्रह्मांड?
अगर हम ब्रह्मांड में देखे जा सकने वाले सभी द्रव्यमान और ऊर्जा के बराबर द्रव्यमान और ऊर्जा वाले ब्लैक होल के आकार की गणना करें, तो नतीजे हैरान कर देंगे. यह ब्लैक होल लगभग देखे जा सकने वाले ब्रह्मांड के समान आकार का होगा!
ब्लैक होल = हमारा ब्रह्मांड?
ब्लैक होल की त्रिज्या उसके द्रव्यमान के सीधे आनुपातिक होती है, जबकि इसका आयतन उसकी त्रिज्या के घन के समानुपाती होता है. इसलिए, ब्लैक होल जितना अधिक भारी होता है, उसका घनत्व उतना ही कम होता है. यानी ब्रह्मांड की त्रिज्या वाले ब्लैक होल का घनत्व लगभग उतना ही होगा जितना हम ब्रह्मांड में देखते हैं.
ब्रह्मांड और ब्लैक होल में और भी समानताएं
ब्रह्मांड और ब्लैक होल के बीच और भी समानताएं हैं. अगर हम ब्रह्मांड के विस्तार को पीछे की ओर देखें, तो यह साफ है कि इसकी शुरुआत एक 'सिंगुलैरिटी' - बिग बैंग - से हुई थी. यानी एक ऐसा समय जब घनत्व, तापमान और ऊर्जा इतनी चरम पर थी कि भौतिकी के नियम टूट गए. यह गणितीय रूप से ब्लैक होल में सिंगुलैरिटी के समान है. गणितीय रूप से तो, ब्लैक होल के घटना क्षितिज के बाहर अंतरिक्ष के गुण, उसके भीतर के गुणों का उलटा रूप होते हैं. कुछ स्टडीज यह भी कहती हैं कि ब्लैक होल के निर्माण से ‘शिशु ब्रह्मांड’ का निर्माण हो सकता है.
दोनों में होता है इवेंट होराइजन
ब्लैक होल में इवेंट होराइजन होता है जिसके आगे सारा प्रकाश और पदार्थ फंस जाता है. ब्रह्मांड में भी कुछ ऐसा ही है. ब्रह्मांड का ‘इवेंट होराइजन’ वह है जिसके आगे हम नहीं देख सकते क्योंकि वहां से प्रकाश हम तक नहीं पहुंच सकता. गणितीय रूप से कहें तो, ब्लैक होल के इवेंट होराइजन के बाहर के गुण, उसके अंदर के गुणों के उलट होते हैं.
क्या है होलोग्राम सिद्धांत?
होलोग्राम सिद्धांत कहता है कि साधारण द्रव्यमान (न केवल ब्लैक होल) की एन्ट्रॉपी भी सतह क्षेत्र के समानुपाती होती है, न कि आयतन के. आयतन अपने आप में भ्रामक है और ब्रह्मांड वास्तव में एक होलोग्राम है जो अपनी सीमा की सतह पर 'अंकित' जानकारी के समरूप है. इस सिद्धांत को कुछ यूं समझें: कुछ दूर स्थित दो-आयामी सतह में हमारी दुनिया का सारा ब्योरा देने के लिए जरूरी सभी डेटा मौजूद हैं - और होलोग्राम की तरह ही, यह डेटा तीन आयामों में दिखाई देने के लिए प्रोजेक्ट किया जाता है. काफी कुछ टीवी स्क्रीन पर दिखने वाले कैरेक्टर्स की तरह, हम एक सपाट सतह पर रहते हैं जो देखने में ऐसा लगता है कि उसमें गहराई है.