Red Sea Attack: नेवी की `वो` ताकत जिसके दम पर राजनाथ ने कहा कि पाताल में भी नहीं बचेंगे दुश्‍मन

Huthi attack on Indian Ship: यमन के हूती आतंकी लाल सागर और अरब सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को ड्रोन से निशाना बना रहे हैं. बीते एक महीने में समुद्री जहाजों पर हमले बढ़े हैं. इस कड़ी में भारतीय ध्वज लगे टैंकर्स और समुद्री जहाजों को भी निशाना बनाया गया है. कहा जा सकता है कि इजरायल हमास युद्ध (Israel Hamas War) की आंच भारत तक पहुंच गई है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने इस हमलों को लेकर कहा है कि जिसने भी हमला किया है, हम उन्हें पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे और सजा देंगे. ऐसे में आपको बताते हैं समंदर में भारत की उस ताकत के बारे में जिससे चीन और पाकिस्तान तक खौफजदा हैं, तो भला हूती आतंकवादियों या किसी और की क्या बिसात है?

श्वेतांक रत्नाम्बर Wed, 27 Dec 2023-3:02 pm,
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अरब सागर (Arabian Sea) में भारत ने अपने विध्यंसक युद्ध पोतों की तैनाती बढ़ाई है. नौ सेना ने अपने इस फैसले से लाल सागर की रेंज तक बड़ा संदेश दिया है कि भारतीय जहाजों को निशाना बनाने वालों की खैर नहीं होगी. इससे पहले भारतीय नौसेना के युद्धपोत अफीक्री देशों के समुद्री तटों तक अपना पराक्रम दिखा चुके हैं. दरअसल लाल सागर में भारतीय जहाजों पर लेबनान के हूती आतंकवादियों के हमले के बाद भारतीय नौसेना आक्रामक हुई है. ऐसी गतिविधियों के बीच भारत ने मालवाहक जहाजों को ड्रोन हमलों से बचाने के लिए उन्हे अभेद्य सुरक्षा चक्र से दायरे में लिया गया है.

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भारत के समुद्री बिजनेस की सुरक्षा के लिए नौसेना एक्शन ले चुकी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक दुश्मनों के ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही तबाह करने के लिए भारतीय नौसेना ने अपने 4 मिसाइल डिस्ट्रॉयर युद्धपोत (Warships) समंदर में उतार दिए हैं. शिपिंग रूट की सुरक्षा के लिए समंदर में पहुंचे भारतीय युद्धपोत, कई लड़ाकू जेट, सी गार्जियन और घातक हेलीकॉप्टरों से लैस हैं. जो दुश्मनों के दिलों में खौफ भर रहे हैं. दरअसल अरब सागर और लाल सागर में मर्चेंट नेवी के जहाज पर हुए हमले को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा, जिसने भी ये हमला किया है, हम उन्हें समुद्र की गहराई से भी ढूंढ निकालेंगे और उन्हें मार गिराएंगे.

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अब आपको भारतीय नौसेना की उस ताकत के बारे में बताते हैं. जो समंदर की गहराइयों में छिपे भारत के हर दुश्मन का काल है. सबसे पहले बात INS Imphal की. नौसेना ने 26 दिसंबर को अत्याधुनिक, घातक और खतरनाक युद्धपोत INS Imphal का कमीशन किया है. ये संहारक वॉरशिप विशाखापट्टनम क्लास का तीसरा विध्वंसक युद्धपोत है. जो गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर ब्रह्मोस और बराक जैसी खतरनाक मिसाइलों से लैस हैं. हिंद महासागर में बढ़ती घुसपैठ को चुनौती देने के लिए इसे बेड़े में शामिल किया गया है. अरब सागर में पाकिस्तान का तट हो या हिंद महासागर में चीन से आने वाला खतरा. ये हर दुश्मन की मौत की गारंटी है.

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INS Imphal पनडुब्बियों को खोजकर मार सकता है. इसका डिस्प्लेसमेंट 7400 टन है. 535 फीट लंबे जंगी जहाज की ताकत असीमित है. इस विनाशक युद्धपोत की मैक्जिमम स्पीड 56 KM प्रतिघंटा है. इस पर 50 अधिकारी और 250 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं. इसमें 4 कवच डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं. इसका राडार सिस्टम उम्दा है. इसमें 32 बराक 8 मिसाइलें, 16 ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल 4 टॉरपीडो ट्यूब्स, 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स और कई तरह की गन अटैच हैं. इसमें एडवांस हेलिकॉप्टर भी अटैच हैं. इसकी टॉरपीडो ट्यूब्स बहुत शक्तिशाली है. इसमें एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स भी तैनात हैं. 

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INS मोरमुगाओ नौसेना का सबसे शक्तिशाली विध्वंसक है. जो 30 समुद्री मील से भी तेज स्पीड से चल सकता है. INS मोरमुगाओ भी दुश्मनों के काल ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी मिसाइलों से लैस है. इजराइली रडार सिस्टम MF-Star इसे अचूक बनाता है. ये हवा में लंबी दूरी के टारगेट का पता लगा सकता है. 127 मिलीमीटर गन से लैस INS मोरमुगाओ 300 किलोमीटर दूर से लक्ष्य को निशाना बनाने में भी सक्षम है. इस पर AK-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम लगा है. साथ ही यह एंटी सबमरीन रॉकेट लांचर से भी लैस है.

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INS 'मोरमुगाओ' परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध लड़ने में सक्षम है. वॉरशिप 'मोरमुगाओ' P15 ब्रेवर क्लास का दूसरा जहाज है. जो किसी भी तरह के ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट के लिए रेडी टू मूव मोड में रहता है. इसके दम पर भारत अब पानी के रास्ते ही चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के घर मिनटों में आग लगा सकता है. कुछ महीने पहले नौसेना ने INS Mormugao (D67) विध्वंसक से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण करके दुश्मनों में खलबली मचा दी थी.

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हाल ही में भारतीय ध्वज लगे मालवाहक जहाजों और ऑयल टैंकरों को निशाना बनाया गया है. ड्रोन से हमले के बाद भारतीय नौसेना ने दुश्मनों का खात्मा करने यानी बदला लेने के लिए बड़ी तैयारी की है.

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अब बात आईएएनएस महेंद्रगिरी की तो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के इस्पात से बने इस स्वदेशी युद्धपोत को दुश्मन के विमानों और एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों के खतरे का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह वॉरशिप लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली भी लैस है. 

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पिछले साल भारत ने अपना पहला, स्वदेशी आधार पर डिजाइन और तैयार एयरक्राफ़्ट कैरियर INS विक्रांत को भारतीय नौसेना में कमिशन किया गया था. दुनिया का सबसे बड़ा नौसेनिक बेड़ा रखने वाला चीन और एयरक्राफ़्ट कैरियर बनाने पर फोकस कर रहा है. 

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आईएनएस विक्रांत का वजन करीब 40 हजार टन है. कोचीन शिपयार्ड में बने INS विक्रांत की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है. इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉट्स यानी करीब 51 किमी प्रतिघंटा है. ये एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 7500 नॉटिकल मील यानी 13,000 से ज्यादा दूरी तय कर सकता है. इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विमानों को ले जाने की क्षमता और इसमें मौजूद विध्वंसक हथियार इसे दुनिया के चंद खतरनाक वॉरशिप में शामिल कराते हैं. नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है. इनमें Mig-29के फाइटर जेट्स के साथ-साथ कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर्स, MH-60R सीहॉक मल्टीरोल हेलिकॉप्टर और HAL द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं.

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INS कोच्चि ये स्वदेशी युद्धपोत ब्रह्मोस से लैस है. इसमें भी सबमरीन डिटेक्टर-टॉरपीडो भी मौजूद हैं. वहीं INS कोलकाता में रडार से बचने के लिए विशेष इंतजाम है. ये ऑटोमेटिक एनर्जी सिस्टम से संचालित है.

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भारत ने अपने व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए जो चार युद्धपोत उतारे हैं. वो अरब सागर के 38 हजार वर्ग किमी लंबे विशाल जलक्षेत्र की निगरानी करेंगे. इसमें यमन का हूती आतंकवादियों के कब्जे वाला अदन की खाड़ी का इलाका भी शामिल है. अरब सागर में चौकसी और निगरानी के लिए पहले ही एक बड़े रडार से लैस एयरक्राफ्ट P8 I को भेजा गया था. अब नौसेना ने चौकसी बढ़ाने के लिए अपने सबसे ताकतवर सी गार्डियन ड्रोन को भी तैनात कर दिया है. सी गार्डियन लगातार 18 घंटे तक आसमान में रह सकता है और पूरे इलाके पर नजर रख सकता है.

 

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ये चारों विध्वंसक युद्धपोत यमन में अदन की खाड़ी से रोजाना गुजरने वाले जहाजों की रिअल टाइम ट्रैकिंग और निगरानी करेंगे. इसके साथ ही दुश्मनों के रॉकेट और मिसाइलों को हवा में ही खत्म करके भारत के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. भारत के चारों युद्धपोत अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में रहकर नौसेना के स्पेशल डोर्नियर सर्विलांस के साथ संपर्क में रहेंगे. इनकी मौजूदगी के बीच भारतीय कमर्शियल टैंकरों को सुरक्षित मूव कराया जा सकेगा.

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गौरतलब है कि 23 दिसंबर को लाल सागर और अरब सागर में दो व्यापारिक जहाज़ों पर हमले के तुरंत बाद ही भारतीय नौसेना ने अपने सबसे आधुनिक डिस्ट्रॉयर्स आईएनएस मुरमुगाओ, आईएनएस कोलकाता और आईएनएस कोच्चि को अरब सागर में भेज दिया था. अब इनका साथ देने के लिए एक और डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई भी अरब सागर में पहुंच गया है.

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