295 रुपये से शुरुआत की, आज 1 लाख करोड़ का कारोबार, अब फैक्ट्री बंद करने की नौबत! जानिए कहानी Britannia की

जिस कंपनी देश की गुलामी का अंधकार भी देखा और आजादी की पहली सुबह भी देखी, आज वो मुश्किल में है. शायद ही कोई होगा, जिसने ब्रिटानिया की बिस्कुट, केक न खाई हो...आज देश का पहला बिस्कुट ब्रिटानिया चर्चा में है, विवाद कोलकाता फैक्ट्री में शुरू हो गया है.

बवीता झा Tue, 25 Jun 2024-7:34 pm,
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ब्रिटानिया बिस्किट फैक्ट्री बंद

Britannia Success story: जिस कंपनी देश की गुलामी का अंधकार भी देखा और आजादी की पहली सुबह भी देखी, आज वो मुश्किल में है. शायद ही कोई होगा, जिसने ब्रिटानिया की बिस्किट, केक न खाई को.  देश का पहला बिस्किट ब्रिटानिया चर्चा में. दुनियाभर के 60 देशों में कारोबार करने वाली ब्रिटानिया कंपनी की शुरुआत जिस कोलकाता युनिट से हुई, कंपनी को आज उस फैक्ट्री को बंद करना पड़ा. ब्रिटानिया ने कोलकाता के तरनताला स्थिति अपनी यूनिट बंद कर दी. 150 कर्मचारियों को वीआरएस देना पड़ा है. जिसके बाद विवाद शुरु हो गया.  राज्य सरकार पर कंपनियों के साथ राजनीति का आरोप लगने लगे. 

 

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295 रुपये में शुरू हुई थी कंपनी

भारत ही नहीं दुनियाभर के देश जिस बिस्कुट के दीवाने हैं, उसकी कहानी कोलकाता के एक छोटे से कमरे में मात्र 295 रुपये से हुई थी.  1892 में ब्रिटिश व्यावसाइयों ने मिलकर ब्रिटानिया की शुरुआत की. छोटे से कमरे में हाथों से बिस्किट बनाए जाते थे. 1897 में असे गुप्ता ब्रदर्स ने खरीद लिा. साल 1910 में जब इलेक्ट्रिसिटी आई तो बिस्किट मशीनों से बनने लगी. 1918 में ब्रिटिश कंपनी सीएच होम्स ने पार्टनरशिप की, जिसके बाद कंपनी का नाम बदलकर ब्रिटानिया बिस्किट रखा गया, बाद में इसे वाडिया समूह ने खरीद लिया. कई मालिक बदले, पता बदला, लेकिन बिस्किट की सेल पर कोई असर नहीं रहा. कंपनी बढ़ती चली गई .

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ब्रिटानिया का जिन्ना कनेक्शन

ब्रिटानिया बिस्किट की कमान फिलहाल वाडिया समूह के पास कंपनी की कमान है.  नुस्ली वाडिया ब्रिटानिया की बागडोर संभालते हैं. नुस्ली वाडिया पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद जिन्ना के नाती है. नुस्ली वाडिया की मां दीना जिन्ना मोहम्मद जिन्ना की बेटी है. उन्होंने पारसी उद्योगपति नेविल वाडिया ( नुस्ली वाडिया के पिता) से शादी की थी. 

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सेकेंड वर्ल्ड वॉर में तेजी से बढ़ी कंपनी

साल 1921 में इंडस्ट्रियल गैस ओवन्स के इंपोर्ट के बाद बिस्किट प्रोडक्शन का काम तेजी से बढ़ा और कंपनी की पॉपुलैरिटी भी बढ़ती चली गई. 1924 में मुंबई में कंपनी ने बड़ी फैक्ट्री स्थापित की. द्वितीय विश्व युद्ध के समय जहां दूसरी कंपनियों को नुकसान हो रहा था, ब्रिटानिया की सेल बढ़ती चली गई. कंपनी को सैनिकों के लिए बिस्किट सप्लाई का बड़ा ऑर्डर मिला, जिसने उसके सेल को 8 फीसकी बढ़ातक 1.36 करोड़ पर पहुंचा दिया.  साल 1954 में कंपनी ने भारत में हाई क्वालिटी स्लाइस्ड और रैप्स ब्रेड लॉन्च किया

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ब्रिटानिया ब्रेड को मिली सफलता

बिस्किट की तरह ब्रिटानिया का ब्रेड भी मार्केट में छा गया. इसके बाद कंपनी ने केक मार्केट पेश किया, जो आते ही बाजार में छा गया. साल 1979 में कंपनी का नाम बदलकर ब्रिटानिया लिमिटेड से बदलकर ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज कर दिया गया.  कारोबार को बढ़ाने के लिए कंपनी एक के बाद एक बिस्कुट के फ्लेवर निकालती रही. 1955 में बरबर, 1963 में ब्रिटानिया केक जैसे कई प्रोडक्ट्स लॉन्च किए गए.  

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ब्रिटानिया की पांच माइलस्टोन

साल 1987 में कंपनी ने ब्रिटानिया गुड्सडे लॉन्च किया, जो सुपरहिट रहा. 1993 में लिटिल हट्स्, 50-50 पेश किया, 1997 में डेयरी प्रोडक्शन मार्केट में एंट्री की. 2000 में फोर्ब्स की ग्लोबल लिस्ट में 300 कंपनियों में शामिल हुई.2004 में कंपनी को सुपरब्रांड का दर्जा मिला. कंपनी का कारोबार 60 देशों में फैला है. कंपनी के कई प्रोडक्ट्स है, लेकिन 80 फीसदी रेवेन्यू बिस्किट प्रोडक्शन से आता है.  मौजूदा वक्त में कंपनी का मार्केट कैप 1.29 लाख करोड़ रुपये का है.  

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