समंदर में सन 1852 को डूबे जहाज के मलबे से मिले शैंपेन और खजाना! देखकर नहीं हो रहा यकीन
Treasure Found From Baltic Sea: जब बाल्टिक सागर में गोताखोरों ने पहली बार सोनार पर मलबे को देखा, तो उन्हें लगा कि यह एक मछली पकड़ने वाली नाव है. लेकिन जब वे जांच करने गए, तो उन्हें 19वीं सदी का एक जहाज मिला, जो शैंपेन, वाइन, मिनरल वाटर और चीनी मिट्टी के बर्तनों से भरा हुआ था.
स्वीडन में मलबा
गोताखोरों ने स्वीडन के तट पर मलबे में 100 से अधिक शैंपेन की बोतलें गिनाईं और अब पोलिश डाइविंग ग्रुप बाल्टीटेक के तोमाज स्टाचुरा का मानना है कि यह शिपमेंट किसी रूसी जार के लिए हो सकता था.
बाल्टीटेक कंपनी
बाल्टिक में जहाज के मलबे की खोज करने वाली कंपनी बाल्टीटेक ने इस खोज को खजाना बताया. टीम के लीडर मिस्टर स्टाचुरा ने कहा, "मैं 40 साल से गोताखोर हूं. कभी-कभी आप एक या दो बोतल देखते हैं. लेकिन मैंने कभी शराब की बोतलों के बक्से और पानी की टोकरियां इस तरह नहीं देखी."
ओलैंड द्वीप
यह खोज स्वीडन के ओलैंड द्वीप से लगभग 20 समुद्री मील (37 किमी) दक्षिण में की गई थी. दो गोताखोरों ने कहा था कि वे एक छोटा गोता लगाएंगे लेकिन फिर लगभग दो घंटे के लिए चले गए.
जर्मन कंपनी सेल्टर्स
जर्मन कंपनी सेल्टर्स के ब्रांड नाम वाली मिट्टी की पानी की बोतलों ने उन्हें मलबे की तारीख 1850 से 1867 के बीच बताने में मदद की. कई लोगों को उन शैंपेन में आज भी अधिक दिलचस्पी होगी. उस वक्त मिनरल वाटर एक विशेष उत्पाद था जिसे लगभग दवा की तरह माना जाता था जो केवल शाही मेजों तक ही पहुंचता था.
1852 में डूबा जहाज
स्टाचुरा ने बीबीसी को बताया कि उनका मानना है कि सामान रूस के ज़ार निकोलस प्रथम की मेज के लिए जा रहा था, जिनके बारे में बताया जाता है कि 1852 में इस क्षेत्र में उनका एक जहाज डूब गया था.