कॉपीकैट चीन के रोबोडॉगी Vs भारत की रोबो डॉग आर्मी, जानिए `ड्रैगन` कैसे साबित हुआ फिसड्डी
China Robo Dog Army Vs Bharat Robot Dog Army: भारत और चीन दोनों ने हाल ही में अपने रोबो डॉग्स की टेस्टिंग है. ऐसे में कॉपीकैट चीन का रोबोडॉगी केसे हमारे रोबो डॉग के सामने फिसड्डी है आइये अब उसे समझते हैं. रोबो डॉग एक एनालॉग-फेस वाली मशीन है, जिसे रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जाता है. इसमें एक इंटीग्रेटेड फायरिंग प्लेटफॉर्म भी है जो दुश्मन को मार गिराने में कारगर साबित होती है.
क्नोलॉजी के दौर में रोबो-डॉग भी हमारी मदद के लिए मैदान में आ गए हैं. भारत और चीन दोनों एक ऐसी रोबो-डॉग आर्मी तैयार कर चुके हैं, जो आधुनिक युद्ध क्षेत्र में अकेले ही मैदान में उतरकर दुश्मन के छक्के छुड़ा सकते हैं.
भारतीय सेना में जल्द ही कुत्तों की शक्ल में रोबोटिक MULES यानी मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट शामिल किए जाएंगे, जो जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकते हैं.
(सांकेतिक तस्वीर)
थर्मल कैमरों और रडार से लैस ये रोबो डॉग ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चल सकता है. ये 18 सेंटीमीटर ऊंची सीढ़ियों और 45 डिग्री वाले पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से चढ़ सकता है. इस रोबो डॉग का वजन करीब 51 किलोग्राम और लंबाई 27 इंच के आसपास है. ये तीन घंटे 15 मिनट तक लगातार चल सकता है.
मात्र एक घंटे में रिचार्ज हो कर ये लगातार दस घंटे तक काम कर सकता है. इसकी पेलोड क्षमता 10 किलोग्राम है.इसमें थर्मल कैमरे और रडार जैसे कई उपकरण लगाए जा सकते हैं. इसे वाई-फाई या LTE यानि लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस रोबो डॉग को 10 किलोमीटीर तक की दूरी से कंट्रोल कर सकते हैं. रोबो डॉग एक एनालॉग-फेस वाली मशीन है, जिसे रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जाता है. इसमें एक इंटीग्रेटेड फायरिंग प्लेटफॉर्म भी है जो दुश्मन को मार गिराने में कारगर साबित होती है.
वहीं चीनी रोबो डॉग्स की बात करें तो बीजिंग ने कुछ समय पहले चीनी फौज ने कंबोडिया के साथ गोल्डन ड्रैगन नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था. उसमें 760 चीनी सैन्य कर्मियों सहित 2000 से अधिक सैनिक शामिल थे. उस ड्रिल में चीनी रोबो Dogs की झलक देखने को मिली थी.
"रोबोडॉग" ने ऑटोमेटिक राइफलों और रॉकेट लांचर से रॉकेट दागे थे. हालंकि उस दौरान चीन ने अपने रोबो डॉग्स के फीर्चस का खुलासा नहीं किया था. चीन ने प्रदर्शन के दौरान अपने डॉग्स की शूटिंग क्षमताओं के बारे में कोई खास जानकारी नहीं दी थी. ऐसे में भारत ने अपने रोबो डॉग के फीचर्स बताकर पड़ोसी देश पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव जरूर बना लिया है.