Coronavirus: भारत बनाने जा रहा कोरोना का नया टीका, सबसे डेंजरस वेरिएंट का होगा काम तमाम

Coronavirus Vaccination: कोरोना वायरस का जिक्र होते ही दुनिया सिहर जाती है. कहीं एक बार फिर तो कोहराम मचाने के लिए यह वायरस दस्तक तो नहीं दे रहा है. दरअसल कोरोना अपने अपने अलग रूपों में इंसानों को निशाना बनाता है, डेल्टा और ओमिक्रॉन के कहर को कोई कैसे भूल सकता है. दुनिया के अलग अलग देशों में कोरोना का सामना करने के लिए अलग अलग टीके इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं, इन सबके बीच ओमिक्रॉन के एक्सबीबी.1.5 संस्करण से लड़ाई लड़ने के लिए कॉर्बेवैक्स को इस्तेमाल में लाया जा रहा है. भारत में भी करीब 1.5 करोड़ लोगों को इसके डोज दिये गए हैं. लेकिन अब इसका उत्पादन भारत में भी होगा.

ललित राय Dec 13, 2023, 12:26 PM IST
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क्या है कॉर्बेवैक्स टीका

यह एक प्रोटीन सब यूनिट टीका है. इसे ओमिक्रॉन के वेरिएंट एक्सबीबी.1.5 पर कारगर माना जाता है. इस टीके का विकास कैलिफोर्निया की डायनावैक्स, बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन और एमरीविले ने मिलकर किया है. भारत में इसके तीसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत मांगी गई है. अगर इजाजत मिल गई तो इसका उत्पादन देश में होगा. अभी तक इसके 1.5 करोड़ डोज भारत में लगाए गए हैं.

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क्या है कोवैक्सीन

कोवैक्सीन, भारत का अपना टीका है. भारत बायोटेक ने इसे आईसीएमआर और एनआईवी के सहयोग से विकसित किया है. कोवैक्सीन का पारंपरिक पद्धति से तैयार किया गया है.इसमें निष्क्रिय वायरस का इस्तेमाल किया गया था.इसमें निष्क्रिय वायरस का इस्तेमाल किया गया था. इसमें सार्स कोविड 2 स्ट्रेन के खिलाफ कोविक्सीन इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट कर देता है जो एंटीबॉडीज का निर्माण करता है.वो एंटीबॉडीज कोरोना वायरस से शरीर के अंदर लड़ाई लड़ते हैं.

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कोविशील्ड बनाम कोवैक्सीन

कोविशील्ड को इंग्लैंड में विकसित किया गया था. भारत में इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के जरिए किया जाता है.कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों में से किसके साइड इफेक्ट कम हैं. इसे लेकर तरह तरह की खबरें आती रही हैं. आमतौर पर लोग कोवैक्सीन को कोविशील्ड की तुलना में कम हानिकारक मानते हैं. लेकिन अभी तक के रिसर्च से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक कोविशील्ड के भी साइड इफेक्ट ना के बराबर हैं.

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भारत में 220 करोड़ डोज दिए गए

कोविन वेबसाइट के मुताबिक अब तक भारत में 220 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हुआ है. इनमें से 22 करोड़ लोगों ने तीसरी खुराक भी ली है. अगर कॉर्बेवैक्स की बात करें तो 30 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया गया है और अब तक 1.5 करोड़ लोगों को इस टीके को लगाया भी जा चुका है. 

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कार्बेवैक्स का नया संस्करण

कार्बेवैक्स को भारत में पांच से 80 साल तक के लोगों को दिया जा रहा है. 7 दिसंबर को सीडीआरआई की एक मीटिंग में इस वैक्सीन के भारत में ही उत्पादन पर चर्चा हुई थी. अब विशेषज्ञ कार्यसमिति मे क्लिनिकल ट्रायल की सिफारिश की है. यह कार्बवैक्स का ही अपडेटेड संस्करण होगा. दरअसल इसकी कवायद इसलिए भी हुई है कि इसी साल जनवरी के महीने में अमेरिका में एक्सबीबी.1.5 की वजह से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई थी.

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