Electoral Bonds News: SBI के चुनावी बॉन्‍ड डेटा से क्‍या पता चलेगा, क्‍या नहीं? 5 प्‍वॉइंट्स में जानिए

SBI Electoral Bonds Data: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्‍ड योजना का डेटा निर्वाचन आयोग (EC) को सौंप दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, EC को यह डेटा 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. क्‍या इससे हमें पता चल पाएगा कि किस व्‍यक्ति/कंपनी ने किस चुनावी पार्टी को कितना चंदा दिया? जानिए चुनावी बॉन्‍ड के डेटा से जुड़े 5 अहम सवालों के जवाब.

दीपक वर्मा Wed, 13 Mar 2024-1:42 pm,
1/6

SBI चेयरमैन ने हलफनामे में क्‍या कहा

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्‍ड के डेटा को चुनाव आयोग को सौंपने के निर्देश का पालन किया गया है. एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि ECI को एक पेन ड्राइव में दो फाइलें दी गईं. पहली फाइल में खरीदारों के नाम, खरीद की तारीख और बॉन्ड की कीमत है. दूसरी फाइल में चुनावी बॉन्‍ड भुनाने वाले राजनीतिक दलों का ब्‍योरा है.

2/6

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या डेडलाइन रखी थी?

SC ने स्टेट बैंक को चुनावी बॉन्‍ड योजना का सारा डेटा EC को हैंडओवर करने के लिए 12 मार्च की शाम तक का वक्त दिया था. SBI को हर चुनावी बॉन्‍ड के खरीदे जाने की तारीख, खरीदार का नाम, बॉन्ड की रकम इत्‍यादि जानकारी चुनाव आयोग को देनी थी. हर पॉलिटिकल पार्टी को चुनावी बॉन्‍ड से कितना चंदा मिला, यह भी बताना था.

3/6

अब चुनाव आयोग को क्‍या करना है?

ECI के पास राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे का अपना डेटा है. उसे यह डेटा 13 मार्च की शाम तक वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. SBI ने जो डेटा सबमिट किया है, उसे 15 मार्च की शाम 5 बजे तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना है. EC वाला डेटा पहले से ही उपलब्ध है. सुप्रीम कोर्ट ने उसे EC वेबसाइट पर डालने को इसलिए कहा है ताकि चुनावी बॉन्‍ड का सारा डेटा एक जगह मिल जाए.

4/6

चुनावी बॉन्‍ड के डेटा से हमें क्‍या पता चलेगा?

किन-किन लोगों और कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदे, उनकी पूरी लिस्ट सामने आ जाएगी. उन्होंने किस तारीख पर कितने रुपये के इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड खरीदे, यह भी खुलासा हो जाएगा. ये चुनावी बॉन्‍ड किन्‍हें मिले, उसकी विस्‍तृत सूची भी आएगी. 

5/6

चुनावी बॉन्‍ड: किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया, पता चलेगा?

ऐसा जरूरी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्‍ड मामले खरीदने वालों और उसे भुनाने वालों की डीटेल्‍स मैच करने को नहीं कहा है. मान लीजिए, डेटा दिखाता है कि A कंपनी ने 10 हजार रुपये का चुनावी बॉन्‍ड खरीदा और किसी पार्टी X ने 10 हजार रुपये का बॉन्ड भुनाया. इससे यह कन्फर्म नहीं होता कि A ने ही X को चुनावी बॉन्‍ड दिया. 

SBI ने जो डीटेल्‍स चुनाव आयोग को सौंपी हैं, उसमें शायद हर बॉन्‍ड का 'यूनिक नंबर' शामिल न हो. अगर खरीदार और पाने वाली पार्टी, दोनों के बॉन्‍ड का नंबर पता हो तो पता लगाया जा सकता है किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया.

एक बार को मान लें कि वह यूनिक नंबर पता चल भी जाए तो कॉर्पोरेट डोनर्स के मामले में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. जब चुनावी बॉन्‍ड योजना लाई गई थी, उसी वक्त कंपनीज एक्ट में भी बदलाव किए गए थे. कंपनी चाहे जितने घाटे में चल रही हो, बॉन्ड खरीद सकती थी.

एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक, इससे बड़े कॉर्पोरेट्स को सियासी फंडिंग के लिए 'शेल कंपनियां' खड़ी करने का रास्ता मिल गया. जैसे- अगर डेटा से पता चले कि 'न्‍यूपल' नाम की किसी कंपनी ने बड़ी रकम का चुनावी बॉन्‍ड खरीदा था. और वह कंपनी जानी-मानी न हो तो यह पता करना मुश्किल है कि 'न्‍यूपल' के पीछे कौन सा बड़ा कॉर्पोरेट डोनर है.

6/6

चुनावी बॉन्ड के जरिए किस पार्टी को कितना चंदा मिला?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, 2017-18 से 2022-23 के बीच कुल 11,987 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्‍ड बिके. चुनावी बॉन्ड के जरिए सबसे ज्‍यादा चंदा (55%) बीजेपी को मिला है. बीजेपी को चुनावी बॉन्‍ड से कुल 6,566 करोड़ रुपये चंदा मिला. कांग्रेस को 1,123 करोड़ रुपये और तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 1,093 करोड़ रुपये चंदा चुनावी बॉन्‍ड से आया. भारत राष्‍ट्र समिति को ₹913 करोड़, बीजू जनता दल को ₹774 करोड़, डीएमके को ₹617 करोड़, YSR कांग्रेस को ₹382 करोड़, तेलुगू देशम पार्टी को ₹147 करोड़ चुनावी बॉन्ड से मिले.

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link