जगत सेठ की मिली उपाधि, अंग्रेज से लेकर मुगल तक थे इस शख्स के कर्जदार
International Banker Jagat Seth: भारत को यूं ही नहीं सोने की चिड़िया कहा जाता था. 18वीं सदी में फतेह चंद नाम का एक शख्स आज के अंबानी की तरह था. उसके पास इतनी संपत्ति थी कि मुगल और अंग्रेज कर्ज लिया करते थे. मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने तो जगत सेठ की पदवी तक दी थी.
जगत सेठ की चर्चा अब किताबों तक सीमित
18वीं सदी में जिस शख्स की चर्चा ना सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि बाहर के मुल्कों में हुआ करती थी उसका अवसान हो चुका था. 20 वीं सदी के आते आते वो स्मृतियों में ही सिर्फ रह गए, साल 1980 में पश्चिम बंगाल स्थिति जगत सेठ के घर को म्यूजियम में बदल दिया गया.
इतिहासकारों के मुताबिक
त्कालीन इतिहासकारों के मुताबिक अगर अंग्रजों ने कर्ज को समय पर लौटाया होता तो उनके परिवार की हालत बहुत अच्छी रही होती. जिस तरह से हम आज टाटा, बिड़ला, अंबानी, डालमिया की बात करते हैं शायद उसी श्रेणी में फतेह चंद का परिवार रहा होता.
जगत सेठ से बेईमानी कर गए अंग्रेज
18वीं सदी में फतेह चंद यानी जगत सेठ का कारोबार ना सिर्फ कलकत्ता बल्कि ढाका, पटना, लखनऊ और दिल्ली तक फैला हुआ था, वो ब्याज पर पैसे देने का काम करते थे. देश के कई इलाकों में आधुनिक बैंक की तरह उनके दफ्तर थे जहां से कर्ज पर पैसे देने का काम होता था.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का आधिकारिक इतिहास लिखने वाले रोबेन होर्म ने 1750 में उनकी संपत्ति 14 करोड़ रुपए के करीब आंकी थी. अगर इसे आज के हिसाब से देखें तो उनकी नेटवर्थ 2 लाख करोड़ के करीब थी.
मुगल बादशाह ने दी थी पदवी
फतेह चंद यानी जगत सेठ की अमीरी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने ना सिर्फ सामान्य लोगों को कर्ज बांटे बल्कि मुगल, अंग्रेज तक कर्जदार बन गए.