गगनयान मिशन: अंतरिक्ष से धरती वाया समुद्र... कैसे वापस आएंगे भारतीय एस्ट्रोनॉट, ISRO और नेवी का डेमो देखिए

Gaganyaan Crew Module Recovery: भारतीय वैज्ञानिक ऐतिहासिक `गगनयान मिशन` की तैयारियों में जोर-शोर से लगे हैं. इसी महीने, क्रू मॉड्यूल की रिकवरी के ट्रायल्स हुए हैं. भारतीय नौसेना (Indian Navy) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मिलकर `वेल डेक` रिकवरी ट्रायल पूरे किए. ये ट्रायल्स विशाखापत्तनम के तट पर वेलडेक शिप की मदद से पूरे हुए. जहाज के वेलडेक पर पानी भरा जा सकता है, ताकि नावों, लैंडिंग क्राफ्ट, बरामद अंतरिक्ष यान को जहाज के अंदर ले जाकर खड़ा किया जा सके. देखिए, गगनयान मिशन में शामिल भारतीय एस्ट्रोनॉट किस तरह समुद्र के रास्ते धरती पर वापस आएंगे.

दीपक वर्मा Dec 10, 2024, 17:47 PM IST
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अंतरिक्ष से समुद्र में उतरेगा गगनयान

अंतरिक्ष में अपना मिशन पूरा करने के बाद गगनयान के क्रू मॉड्यूल का समुद्र में टचडाउन होगा. एक बार क्रू मॉड्यूल समुद्र में उतर गया, तो कम से कम समय में, न्यूनतम असुविधा के साथ क्रू को बाहर निकालना पहली प्राथमिकता होगी.

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कैसे बाहर निकाले जाएंगे एस्ट्रोनॉट?

ISRO की वेबसाइट के अनुसार, क्रू रिकवरी के पसंदीदा विकल्पों में से एक यह है कि क्रू मॉड्यूल को क्रू के साथ जहाज के वेल डेक के अंदर ले जाया जाए, जहां भारतीय एस्ट्रोनॉट्स आराम से क्रू मॉड्यूल से बाहर आ सके.

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समुद्र में चले ट्रायल

वेल डेक रिकवरी के लिए ट्रायल पिछले दिनों द्रव्यमान और आकार के हिसाब से क्रू मॉड्यूल मॉक-अप का इस्तेमाल करके किए गए. ट्रायल्स के दौरान, भारतीय नौसेना और इसरो द्वारा क्रू मॉड्यूल की वेल डेक रिकवरी के लिए संचालन का क्रम चलाया गया. इस क्रम में रिकवरी बॉय को जोड़ना, टो करना, वेल डेक शिप में प्रवेश करना, फिक्सचर पर सीएम की स्थिति बनाना और वेल डेक से पानी निकालना शामिल है.

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रिकवरी के लिए SOP तैयार कर रहा ISRO

नेवी और ISRO के ट्रायल्स से ऑपरेशन के ओवरऑल सीक्वेंस, ग्राउंड फिक्सचर की पुष्टि हुई. इसे मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) को ठीक करने में मदद मिलेगी. ये ट्रायल्स असल में नौसेना और इसरो द्वारा हर तरह की स्थितियों में रिकवरी ऑपरेशन के लिए एसओपी को अंतिम रूप देने के लिए किए जा रहे रिकवरी ट्रायल्स की सीरीज का हिस्सा हैं.

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गगनयान मिशन क्या है?

गगनयान प्रोजेक्ट के लक्ष्‍यों में, तीन सदस्यों के क्रू को तीन दिन के मिशन के लिए 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना और उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना शामिल है.

27 फरवरी 2024 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की पहचान का खुलासा किया था. वे हैं: ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला.

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