National Unity Day: वल्लभभाई क्यों कहलाए सरदार पटेल? यहां देखिए उनकी कुछ अनदेखी तस्वीरें

महान स्वतंत्रता सेनानी लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे. आज पूरे देश में सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जयंती मनाई जा रही है. साहसिक कार्य और दृढ़ व्यक्तित्व के धनी होने के कारण ही महात्मा गांधी ने पटेल को `लौह पुरुष` की उपाधि दी थी.

आरती आज़ाद Oct 31, 2023, 12:29 PM IST
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संविधान को आकार देने वाले प्रमुख नेताओं में से एक

National Unity DayNational Unity Day

भारत की संविधान सभा में वरिष्ठ सदस्य होने के नाते सरदार पटेल संविधान को आकार देने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थे. देश की एकता और अखंडता ही उसका आधार होता है. सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे. इसी कारण साल 2014 से हर साल उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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छोटी उम्र में हो गई थी शादी

Sardar Patel birth anniversarySardar Patel birth anniversary

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक किसान परिवार में हुआ था. उनकी शादी केवल 16 साल की उम्र में हो गई थी. जब वह 33 साल के थे तब उनकी पत्नी का देहांत हो गया.

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कानून के अच्छे जानकार

Sardar Patel JayantiSardar Patel Jayanti

सरदार पटेल कानून के अच्छे जानकार थे. उन्होंने भी लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी, डिग्री लेने के बाद वापस आकर सरदार पटेल अहमदाबाद में वकालत करने लगे. 

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स्टैचू ऑफ यूनिटी

गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने 31 अक्टूबर 2018 को दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी' बनाई गई, यह सरदार पटेल को समर्पित है,  जो देश की एकता में उनके योगदान को दर्शाती है. 

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गांधी जी से थे बहुत प्रभावित

गांधी जी से प्रेरित होकर उन्होंने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. इसमें उनका सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में था, जब खेड़ा में सूखा पड़ा था. ऐसे में ब्रिटिश सरकार ने किसानों के कर से राहत देने से मना कर दिया था, तब सरदार ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और वकालत छोड़ सामाजिक जीवन में कदम रखा था. 

 

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ऐसे कहलाए सरदार

वल्लभभाई पटेल ने साल 1928 में बारदोली में हुए किसान आंदोलन का नेतृत्व भी किया था. बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दे दी. इतना ही नहीं गांधी जी उन्हें बारदोली का सरदार कहकर पुकारा था.

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आजादी के बाद रियासतों को देश में मिलाया

आजादी के बाद 562 छोटी-बड़ी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा. देश के विभाजन के बाद रजवाड़ों से जुड़ी बड़ी समस्या देश के सामने थी, तब महात्मा गांधी ने सरदार पटेल से कहा था कि रियासतों की समस्या इतनी कठिन है कि केवल पटेल ही इसे हल कर सकते हैं.

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सिविल सेवाओं की अहमियत समझी

आजाद भारत के वह ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय सिविल सेवाओं के महत्व को समझा और भारतीय संघ के लिए उसकी निरंतरता को जरूरी बताया. उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर बहुत जोर दिया. सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ था. मरणोपरान्त उन्हें भारत सरकार ने साल 1991 में देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया था.

 

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