GK: सबसे अनोखी है मेंढक की ये प्रजाति, पानी में नहीं पेड़ पर रहना है पसंद, जहरीली होती है इसकी स्किन
Waxy Monkey Tree Frog: दुनिया में मेंढक की करीब 6,000 प्रजातियां पाई जात है, जिनमें से कुछ बहुत ही अनोखी होती हैं. ऐसी ही एक प्रजाति है मंकी फ्रॉग यानी बंदर मेंढक, जो लीफ या ट्री फ्रॉग वंश के होते हैं. ये मेंढक दुनिया में हर जगह नहीं पाए जाते हैं. आइए जानते हैं इस मेंढक के बारे में ऐसी दिलचस्प बातें, जो कम ही लोग जानते होंगे...
यहां पाए जाते हैं ये मेंढक
साउथ अमेरिका में पाई जाने वाली मेंढक की यह प्रजाति वैसे तो अपने लाइफ सर्किल के लिए ज्यादातर पानी पर निर्भर होते हैं, लेकिन इनमें से कुछ सूखे वातावरण में पनपते हैं. पराग्वे के अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में मंकी फ्रॉग की एक खास प्रजाति पाई जाती है, जिसे वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग या वैक्सी मंकी लीफ फ्रॉग कहा जाता है.
कीड़ों का करता है शिकार
यूं तो आपने देखा ही होगा कि मेंढ़क पानी में रहना पसंद करते हैं और बारिश के मौसम में इनकी टर्र-टर्र भी आपने सुनी ही होगी, लेकिन यह मेंढक पानी में नहीं, बल्कि पेड़ पर रहना पसंद करता हैं. वैक्सी मंकी ट्री मेंढक पेड़ों पर रहता है और कीड़ों को खाकर अपना गुजारा करता है.
वातावरण के अनुकूल
वैसे तो वैक्सी मंकी ट्री मेंढक में कई अनोखी बातें होती हैं, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह खुद को वातावरण के अनुकूल ढालने की क्षमता रखता है. इन मेंढकों में से दो तिहाई की चमड़ी चमकते हुए मोम की होती है.
वैक्स जैसी चमकीली स्किन
इस मेंढक की स्किन मोम जैसी होती है. इसी वजह से वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग नमी की गैरमौजूदगी में भी लंबे समय तक पानी को अपने अंदर रोके रखने की क्षमता रखता है. और यह धूप में लंबे समय तक बिना सूखे रह पाता है, जबकि ऐसा करना दूसरे रेप्टाइल्स के बस की बात नहीं हैं.
चमड़ी पर होता है जहरीला पदार्थ
साइंटिस्ट्स का कहना है कि वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग की स्किन पर लगा पदार्थ इंसानों के लिए जहरीले हो सकता हैं. यह पदार्थ इतना जहरीला होता है कि उससे हैपिटाइटिस जैसी बीमारी हो सकती है. साथ ही यह शरीर के दूसरे हिस्सों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है. हालांकि, जानकारी के मुताबिक इस पदार्थ का इस्तेमाल कुछ जगहों पर हर्बल दवाई के तौर पर होता है.
स्लो मेटाबॉलिज्म
वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग अपने मेटाबॉलिज्म इतना कम कर सकते हैं, जिससे वे एक तरह से हाइबेरनेशन मोड में चले जाते हैं. इससे वे बिना भोजन पानी के कई हफ्तों तक उन्हें कुछ नहीं होता है. बहुत ज्यादा गर्मी में ये मेंढक ऐसी अवस्था ला देते हैं. हालांकि, इनका स्लो मेटाबॉलिज्म कुछ ही समय के लिए रहता है.
मेंढक नहीं बंदर नजर आता है
वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग पेड़ पर बैठे बंदर की तरह ही नजर आता है. इसके नाम में मंकी होने का एक प्रमुख कारण यही बताया जाता है. साइंटिस्ट के मुताबिक इस तरह बैठने की वजह से उनका उस जगह से कम से कम संपर्क होता है, जिससे उनकी स्किन के पदार्थ उस जगह पर नहीं चिपकते हैं.
प्रजनन
वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग में मादा पत्तियों की सतह पर अंडे देती हैं, जबकि दूसरे मेंढक ये काम पानी में ही करते हैं. ये पत्तियां तालाब या झील के ऊपर होते हैं, जिससे लार्वा निकलकर पानी में ही गिरते हैं.