Photos: वो 5 राजा जो क्रूर नहीं थे, इस मुल्क को बना दिया दुनिया की सबसे खुशहाल जगह
Bhutan 5 Kings: ये कहानी भूटान के पांच राजाओं की है. इन राजाओं ने अपने नेतृत्व से इस देश को दुनिया के सबसे खुशहाल और संतुलित देशों में से एक बना दिया. ये राजा क्रूरता से कोसों दूर, जनता के लिए माता-पिता जैसे थे. इनके नेतृत्व में भूटान ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हुए आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाए.
भारत के पड़ोस में बसे भूटान प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर के लिए फेमस है. साथ ही यह दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में से एक है. इस देश की खुशहाली में यहां के राजाओं का भी अहम योगदान रहा है. फिलहाल भूटान के पांचवें राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक गुरुवार से भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरे का मकसद दोनों देशों के गहरे रिश्तों को और मजबूती देना है. आइए समझते हैं कि कैसे इस छोटे से देश को सबसे अलग और खास बनाने में उसके राजाओं की दूरदर्शिता और जनता के प्रति उनके अटूट प्रेम का अहम योगदान रहा है.
उग्येन वांगचुक: एकीकृत भूटान
भूटान के पहले राजा, उग्येन वांगचुक (1907-1926), ने राजनीतिक अस्थिरता के दौर में भूटान को एकजुट किया. उन्होंने दोहरी शासन प्रणाली को समाप्त कर एक सशक्त और केंद्रीकृत सरकार की नींव रखी. उनके नेतृत्व में भूटान ने ब्रिटिश भारत के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए.
जिग्मे वांगचुक: परंपराओं का संरक्षक
दूसरे राजा, जिग्मे वांगचुक (1926-1952), ने अपने पिता की नीतियों को आगे बढ़ाते हुए भूटान की स्थिरता को बनाए रखा. उन्होंने देश की कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत किया और भारत के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए.
जिग्मे दोरजी वांगचुक: आधुनिक भूटान के पिता
तीसरे राजा, जिग्मे दोरजी वांगचुक (1952-1972), को आधुनिक भूटान का पिता कहा जाता है. उनके शासनकाल में भूटान ने अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित किए और पहली पंचवर्षीय योजना लागू की. उन्होंने संसद और मंत्रिपरिषद की स्थापना कर देश में लोकतंत्र की नींव डाली.
जिग्मे सिंगे वांगचुक
चौथे राजा, जिग्मे सिंगे वांगचुक (1972-2006), ने "ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस" की अवधारणा दी, जो आज भूटान की पहचान है. उनके कार्यकाल में भूटान ने अर्थव्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की.
जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक: लोकतंत्र का नया युग
वर्तमान राजा, जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, 2006 से भूटान की बागडोर संभाल रहे हैं. उन्होंने अपने पिता के लोकतांत्रिक सुधारों को आगे बढ़ाया और "किदू फाउंडेशन" जैसे जनहितकारी कार्यक्रम शुरू किए. उनकी सादगी और जनता के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें "पीपल्स किंग" बनाती है. (All Photos: Bhutan Govt Official)