भारत की इकलौती ट्रेन, जिसमें नहीं होता इंजन, लेकिन फिर भी रफ्तार की रानी...राजधानी-शताब्दी एक्सप्रेस भी इसके सामने फिसड्डी

India`s First Engine Less Train: आज जिस ट्रेन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उस ट्रेन में कोई इंजन ही नहीं. देश की पहली इंजन रहित ट्रेन की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हर राज्य अपने लिए इस ट्रेन की डिमांड रख रहा है.

बवीता झा Wed, 13 Nov 2024-12:33 pm,
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इस ट्रेन में कुछ खास

India's First Engine Less Train: छुकछुक करती रेल, सीटी बजाती रेल...ऐसी कई किस्से-कहानियां आपने पढ़ी होगी. ट्रेन में सफर भी किया होगा. ट्रेन के आगे लगी इंजन भी देखें होंगे, इंजन में बैठे लोकोमोटिव पायलट भी देखें होंगे, लेकिन आज जिस ट्रेन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उस ट्रेन में कोई इंजन ही नहीं. देश की पहली इंजन रहित ट्रेन की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हर राज्य अपने लिए इस ट्रेन की डिमांड रख रहा है. 

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बिना इंजन वाली ट्रेन

 

 

भले ही इस ट्रेन में इंजन न हो, लेकिन रफ्तार के मामले में यह ट्रेन राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों को टक्कर देता है. इंजन रहित हाई स्पीड ट्रेन की ट्रायल रन में रफ्तार 183 किमी प्रति घंटे की रही, लेकिन पटरियों की क्षमता की वजह से यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है.  

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सेमी हाई स्पीड ट्रेन

इस ट्रेन का नाम है वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) या ट्रेन 18 ( Train 18). ये सेमी हाई स्पीड ट्रेन लोगों को खूब पसंद आ रही है. हो सकता है कि आपने इस ट्रेन से पहले सफर भी किया होगा, लेकिन पको जानकर हैरानी होगी कि इस ट्रेन में इंजन नहीं होता.  फिर मन में सवाल होगा कि अगर इंजन नहीं होता तो फिर यह सबसे तेज चलने वाली ट्रेन कैसे बन गई? 

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पूरी तरह से ऑटोमेटिक ट्रेन

 

 

यह ट्रेन पूरी तरह ऑटोमेटिक है.  चेन्नई के इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा बनाया गया यह ट्रेन देश की पहली इंजन-रहित ट्रेन ‘ट्रेन 18’, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को राजधानी और शताब्दी ट्रेनों का उत्तराधिकारी कहा जाता है.  रफ्तार और सुविधाओं के मामले में यह ट्रेन देश में फिलहाल नंबर 1 के पायदान पर है. 

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इंजन नहीं तो फिर कैसे दौड़ती है यह ट्रेन

 

 

वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन है. अब तक आपने देखा होगा कि भारत की ट्रेनों में एक अलग से इंजन कोच होता है, जो बोगियों से जुड़ा रहता है,लेकिन इस ट्रेन 18 में बुलेट या मेट्रो ट्रेन की तरह एंटीग्रेटेड यानी एकीकृत इंजन होता है, जो कोच या बोगियों के साथ ही लगा रहता है. 

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रफ्तार का राज

अलग से इंजन नहीं होने की वजह से ट्रेन की रफ्तार अधिक होती है.  इंजनलेस इलेक्ट्रिक ट्रेन को चलाने के लिए पूरा सिस्टम ट्रेन की बोगियों में ही फिट है.  हालांकि जरूरत के लिए दो लोकोमोटिव पायलट ट्रेन में मौजूद रहते हैं.  

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मेड इन इंडिया ट्रेन

 

इस ट्रेन को पूरी तरह से मेड इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है.  इसकी टॉप स्पीड 180 किमी प्रति घंटे की है, लेकिन फिलहाल सेफ्टी इश्यू के चलते ट्रेन 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. रफ्तार अधिक होने के वजह से इस ट्रेन से सफर में लगने वाला समय करीब 15 फीसदी तक घट जाता है.  

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