India Longest Train: भारत की सबसे लंबी ट्रेन, जिसे मिलकर खींचते हैं 6 इंजन; डिब्बे गिनते-गिनते थक जाएंगे आप

India Longest Train: भारतीय रेलवे के इस बेड़े में जहां बहुत सारी पैसेंजर ट्रेनें हैं, वहीं कई सारी गुड्स ट्रेनें भी हैं, जो सामान को इधर से उधर लेकर जाती हैं. इस बेड़े में भारत की वो सबसे लंबी ट्रेन भी शामिल है, जिसके डिब्बे गिनते-गिनते आपकी आंखें थक जाएंगी.

देविंदर कुमार Mon, 01 Jul 2024-9:33 pm,
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दुनिया का चौथा लंबा रेलवे नेटवर्क

यह तो आप जानते ही होंगे कि भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, जिसमें रोजाना 13 हजार से ज्यादा ट्रेन चलती हैं. इनके जरिए प्रतिदिन 4 करोड़ से ज्यादा यात्री एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचते हैं. 

 

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भारतीय रेलवे के दिलचस्प तथ्य

भारतीय रेलवे अपने साथ तमाम ऐसे दिलचस्प तथ्य समेटे हुए है, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. यहां पर आपको दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज मिल जाएगा तो समुद्र के ऊपर से गुजरती ही ट्रेन भी दिख जाएगी.

 

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भारत की सबसे लंबी ट्रेन

आज हम आपको भारत की सबसे लंबी ट्रेन के बारे में बताते हैं, जिसमें इतने डिब्बे लगे हैं कि उन्हें- गिनते आपकी आंखें थक जाएंगी. इस ट्रेन का नाम सुपर वासुकी है. यह ट्रेन करीब 3.5 किमी लंबी है. 

 

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गुजरने में लग जाता 1 घंटे

सुपर वासुकी ट्रेन में 15-20 नहीं बल्कि 295 डिब्बे लगे हैं. जिन्हें 6 इंजन मिलकर खींचते हैं. जब यह ट्रेन कहीं से गुजरती है तो पूरी ट्रेन को पार होने में करीब एक घंटा लग जाता है. इस ट्रेन के डिब्बे गिनना हर किसी के बस की बात नहीं है.

 

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कोयले की ढुलाई करती है वासुकी ट्रेन

सुपर वासुकी एक मालवाहक रेलगाड़ी है, जिससे देश की विभिन्न खदानो से निकले कोयले को बड़े- बड़े बिजली घरों तक पहुंचाया जाता है. यह ट्रेन छत्तीसगढ़ के कोरबा से करीब 27 हजार टन कोयला लेकर नागपुर के राजनंदगांव तक जाती है. 

 

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6 इंजन मिलकर खींचते हैं पूरी ट्रेन

इस दूरी को तय करने में सुपर वासुकी ट्रेन को करीब 11.20 घंटे का वक्त लग जाता है. भारत की सबसे लंबी इस ट्रेन में 5 रेलगाड़ियों को डिब्बो को एक साथ जोड़ा जाता है. इस वजह से ट्रेन का वजन ज्यादा हो जाता है, जिसे खींचने के लिए 6 इंजन लगाए जाते हैं. 

 

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फाटक क्रॉस करने के लिए लंबा इंतजार

जब यह ट्रेन कहीं से गुजरती है तो वहां फाटक पर खड़े लोगों को उसे क्रॉस करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ जाता है. एक- एक करते डिब्बों के गुजरने का जो सिलसिला शुरू होता है, वह जल्दी से खत्म होने का नाम ही नहीं लेता.

 

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कैसे मिला वासुकी का नाम?

इस ट्रेन को वासुकी नाम भगवान शिव के गले पर विराजमान वासुकी नाग के नाम पर दिया गया है. उन्हें सांपों का राजा कहा जाता है. देव-दानवों के बीच समुद्र मंथन के लिए रस्सी की जगह वासुकी का ही इस्तेमाल किया गया था. जब यह लंबी ट्रेन चलती है तो लहराते हुए वासुकी नाग की तरह ही लगती है.

 

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