Kaaba Sharif: अंदर से कैसा दिखता है काबा? यहां देख लीजिए Photos
Kaaba Inside View: इस्लाम धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल काबा शरीफ के बारे में जानने की जिज्ञासा अधिकांश लोगों के मन में होती है. क्या आप जानते हैं कि काले रंग के काबा के अंदर क्या है. यहां देखिए काबा की इनसाइड Images.
इस्लाम का पवित्र स्थल
![इस्लाम का पवित्र स्थल holy place of islam](https://hindi.cdn.zeenews.com/hindi/sites/default/files/2024/08/04/3109103-kaaba-5.jpg?im=FitAndFill=(1200,900))
सऊदी के पवित्र धार्मिक स्थल मक्का मदीना में स्थित काबा एक क्यूबिकल स्ट्रक्चर है, जो इस्लाम का सबसे पवित्र धार्मिक स्थान है. हर साल दुनिया भर से लोग हज करने के लिए यहां आते हैं और पवित्र काबा की परिक्रमा (तवाफ) करते हैं.
काले कपड़े से ढंका है
![काले कपड़े से ढंका है kaaba covered with black cloth](https://hindi.cdn.zeenews.com/hindi/sites/default/files/2024/08/04/3109102-kaaba.jpg?im=FitAndFill=(1200,900))
काले रेशमी कपड़े किस्वा से ढंके काबा के अंदर क्या है, यह बात कम ही लोग जानते हैं. किस्वा पर कुरान की पवित्र आयतें लिखी होती हैं. काबा शरीफ के अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं है. केवल चुनिंदा लोग ही इसके अंदर जा सकते हैं.
180 वर्ग मीटर का है आंतरिक हिस्सा
![180 वर्ग मीटर का है आंतरिक हिस्सा kaaba inside image](https://hindi.cdn.zeenews.com/hindi/sites/default/files/2024/08/04/3109101-kaaba-4.jpg?im=FitAndFill=(1200,900))
काबा का अंदरूनी हिस्सा बमुश्किल 180 मीटर वर्ग का है. इसके अंदर छत को सहारा देने के लिए लकड़ी के तीन खंभे हैं. सोने और चांदी के लैंप हैं. बंद सीढ़ी और बाब अल-तौबा नाम का गोल्डन डोर (सोने का दरवाजा) है.
प्रवेश की नहीं है अनुमति
काबा शरीफ के अंदर आम मुसलमानों को प्रवेश करने की भी अनुमति नहीं है. केवल आधिकारिक तौर पर ही कुछ लोग वहां प्रवेश कर सकते हैं.
पैगंबर मोहम्मद ने पढ़ी थी नमाज
काबा के अंदर उस स्थान को भी चिह्ति किया गया है जहां पैगंबर मुहम्मद ने प्रार्थना की थी.
किसी भी दिशा में कर सकते हैं प्रार्थना
आमतौर पर नमाज पढ़ते वक्त किबला रुख (काबा की ओर) करके नमाज अदा की जाती है. लेकिन यदि कोई काबा के अंदर प्रार्थना करेगा, तो वह किसी भी दिशा में मुंह करके प्रार्थना कर सकेगा.
हर मुस्लिम पर फर्ज है हज
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार हज के फर्ज को निभाने का हुक्म है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)