Maha Kumbh 2025: Steve Jobs की पत्नी 17 दिन बिताएंगी कल्पवास में, संगम में लगाएंगी डुबकी, देखें फोटो

Maha Kumbh 2025: इस साल प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में एक खास विदेशी मेहमान शामिल होंगी. मेहमान का नाम है लॉरेन पॉवेल जॉब्स. लॉरेन पॉवेल जॉब्स स्टीव जॉब्स की पत्नी हैं और अरबपति हैं. वह इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में `कल्पवास` परंपरा में भाग लेंगी.

अभिरंजन कुमार Jan 10, 2025, 19:06 PM IST
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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होगा. इस विशाल आयोजन में दुनिया भर से लाखों भक्तों, संतों और साधक यहां पहुंचेंगे. गंगा, यमुना और अदृश्य नदी सरस्वती के संगम पर होने वाला यह आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस साल महाकुंभ में एक खास मेहमान भी शामिल हो रही हैं. ये हैं स्टीव जॉब्स की पत्नी और अरबपति, लॉरेन पॉवेल जॉब्स. लॉरेन पॉवेल जॉब्स 'कल्पवास' परंपरा में भाग लेंगी.

 

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लॉरेन पॉवेल जॉब्स Apple के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी हैं. लॉरेन पॉवेल जॉब्स के ओर से उठाए गए इस कदम के बाद ज्यादा से ज्यादा विदेशी लोगों का ध्यान आकर्षित हो सकता है. रिपोर्ट्स की माने तो वह 13 जनवरी को प्रयागराज पहुंचेंगी. यहां पहुंचने के बाद निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में पहुंचेंगी.

 

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प्रयागराज के दौरे के दौरान पॉवेल जॉब्स 29 जनवरी तक कल्पवास में समय बिताएंगी. इस दौरान वह धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होंगी और पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगी. पारंपरिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान में लॉरेन पॉवेल जॉब्स के भाग लेने का यह फैसला दिखाता है कि विश्व में महाकुंभ की महत्ता क्या है.

 

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लॉरेन पॉवेल जॉब्स अरबपति होने के साथ-साथ काफी दयालू प्रवृति की महिला हैं. जानकारी के मुताबिक उन्हें पति स्टीव जॉब्स से संपत्ति विरासत में मिली है. दुनिया में पॉवेल जॉब्स अपने सामाजिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने एमर्सन कलेक्टिव नाम से एक चैरिटी की स्थापना की है जो कि शिक्षा, इकोनॉमिक मोबिलिटी, इमिग्रेशन और इंवायरमेंट जैसे मुद्दों पर काम करती है.

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अब हम आपको बता दें कि आखिर कल्पवास क्या होता है? कल्पवास महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह परंपरा बहुत पुरानी है. इसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. कल्पवास का समय पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक होता है. जो भी लोग कल्पवास करते हैं, वे संगम के पास बने साधारण तंबू में रहते हैं. वे रोजाना गंगा नदी में स्नान करते हैं, भजन गाते हैं और संतों के उपदेश को सुनते हैं.

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