मनु भाकर की पिस्टल ने टोक्यो में दे दिया था दगा, अब पेरिस में मेडल जीत ले लिया सबका बदला!
Manu Bhaker bronze medal Paris Olympics: भारत की युवा शूटर मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. वह शूटिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई. भारत को इस खेल में 12 साल बाद कोई मेडल मिला है. पिछली बार 2012 लंदन ओलंपिक में विजय कुमार ने सिल्वर और गगन नारंग ने ब्रॉन्ज जीता था. 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड और 2002 एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने सिल्वर जीता है. मनु के लिए ब्रॉन्ज जीतने तक का सफर काफी मुश्किल रहा है. उसे हम आपको यहां बता रहे हैं...
टोक्यो ओलंपिक का कड़वा अनुभव
टोक्यो ओलंपिक 2020 में मनु फाइनल में पहुंचने से महज कुछ अंक से चूक गई थीं. क्वालिफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल में खराबी आ जाने के कारण उन्हें काफी परेशानी हुई थी. उनकी पिस्टल ने दगा दे दिया था. मनु आंसुओं के साथ टोक्यो से लौटी थीं.
डिप्रेशन में रही थीं मनु
मनु के लिए टोक्यो ओलंपिक की घटना उनके लिए एक बड़ा झटका थी और वह इस हार से काफी मायूस हुई थीं. टोक्यो ओलंपिक के बाद मनु लगभग दो महीने तक डिप्रेशन में रहीं.
मेंटल ट्रेनिंग पर दिया था ध्यान
मनु ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें लगा था कि वह कभी भी इस स्तर पर वापस नहीं आ पाएंगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के साथ वापसी की. उन्होंने योग और मेंटल ट्रेनिंग पर ध्यान दिया ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत बन सकें.
उसेन बोल्ट से प्रेरित
मनु भाकर ने कई बार कहा है कि उन्हें उसेन बोल्ट से बहुत प्रेरणा मिलती है. उन्होंने उसेन बोल्ट की जीवनी पढ़ी है और उन्होंने देखा है कि कैसे बोल्ट हार से उबरकर सफलता के शिखर पर पहुंचे.
मनु ने जीत के बाद गीता के संदेश को सुनाया
मनु भाकर ने ब्रॉन्ज जीतने के बाद कहा, ''मैंने बहुत गीता पढ़ी है. परिणाम पर नहीं बल्कि अपनी प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करो, अंतिम क्षण में मेरे दिमाग में यही चल रहा था.'' मनु ने अपने कोच और पूर्व शूटर जसपाल राणा को शुक्रिया कहा.