मंगल पर जमीन के नीचे इतना पानी है क‍ि महासागर भर जाए! लाल ग्रह के बारे में नई स्टडी से खुलासा

Mars Planet Water: मंगल ग्रह की सतह के नीचे भारी मात्रा में पानी मौजूद हो सकता है. एक नई स्टडी में इसके संकेत मिले हैं. सोमवार को जारी रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि लाल ग्रह पर इतना पानी मौजूद है कि एक महासागर बन सकता है. यह रिसर्च NASA के Mars InSight lander के डेटा पर आधारित है.

दीपक वर्मा Tue, 13 Aug 2024-2:36 pm,
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मंगल पर कितनी गहराई में हो सकता है पानी?

नासा के मार्स इनसाइट लैंडर ने दो साल पहले काम बंद कर दिया था. इससे पहले, उसने 1,300 से अधिक मंगल भूकंपों को रिकॉर्ड किया था. ABC न्यूज की रिपोर्ट में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के प्रमुख वैज्ञानिक वशन राइट के हवाले से कहा गया है कि यह पानी शायद मंगल ग्रह की सतह में 7 से 12 मील (11.5 से 20 किलोमीटर) की गहराई में स्थित है.

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मंगल पर कहां मिले अंडरग्राउंड पानी के सबूत?

राइट के अनुसार, अगर मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास, एलीसियम प्लैनिटिया में इनसाइट की लोकेशन के पास भूमिगत जल को पूरे ग्रह पर वितरित माना जाए तो यह दो किलोमीटर गहरे वैश्विक महासागर को भरने के लिए पर्याप्त हो सकता है.

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क्या मंगल पर जीवन संभव होगा?

राइट के मुताबिक, यह पानी शायद अरबों साल पहले भूमिगत दरारों में रिस गया होगा. उस समय मंगल ग्रह की सतह पर नदियां, झीलें और संभवतः महासागर थे. हालांकि, राइट के अनुसार मंगल पर पानी की मौजूदगी का मतलब यह नहीं कि यह जीवन का समर्थन करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, 'हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि मंगल पर ऐसे वातावरण हैं जिससे ग्रह के इंसान के रहने लायक होने की संभावना है.'

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मंगल पर पानी: कन्फर्म कैसे होगा?

मंगल ग्रह पर अंडरग्राउंड पानी की पुष्टि के लिए आगे की खोज तथा सूक्ष्मजीवी जीवन के किसी भी संकेत की खोज के लिए ड्रिलिंग और अन्य उपकरणों की जरूरत पड़ेगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, 3 अरब साल से भी ज्यादा समय पहले, मंगल ग्रह लगभग पूरे स्थान पर गीला था. जैसे-जैसे इसका वायुमंडल पतला होता गया, माना जाता है कि इसका अधिकांश सतही जल या तो अंतरिक्ष में चला गया या भूमिगत हो गया.

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कैसे हुई यह रिसर्च?

रिसर्च टीम ने इनसाइट की सीस्मिक रीडिंग्स पर आधारित कंप्यूटर मॉडल बनाए. उनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि जो डेटा आया है, उसे अंडरग्राउंड पानी से ही समझाया जा सकता है. रिसर्च के नतीजे Proceedings of the National Academy of Sciences में छपे हैं.

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