इतने दशकों से क्यों सुलग रहा है मिडिल ईस्ट? जानें तेल, धार्मिक विभाजन और भूगोल की भूमिका

Middle East Crisis: दुनिया के नक्शे में मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) एक ऐसा क्षेत्र है जो कई दशकों से लगातार संघर्षों, युद्धों और अस्थिरता का केंद्र बना हुआ है. इस समय की स्ठिति देखें, तो इज़रायल जहां एक मोर्चे पर हमास से युद्ध लड़ रहा है, वहीं वो दूसरे मोर्चे पर लेबनान को भी टक्कर दे रहा है. दरअसल, इज़रायल और लेबनान के बीच अक्टूबर 2023 में संघर्ष भड़क उठा, जब लेबनान स्थित शिया आतंकवादी समूह हिज़बुल्लाह ने इज़रायल पर हमले शुरू किए. यह हमला इज़रायल और हमास के बीच गाजा में चल रहे युद्ध के बीच हुआ, जिससे इज़रायल को उत्तरी सीमा पर दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

कुणाल झा Oct 06, 2024, 15:39 PM IST
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दरअसल, पूरे मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष के पीछे कई कारक हैं, जिनमें राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक और भौगोलिक कारक प्रमुख हैं. मिडिल ईस्ट की भौगोलिक स्थिति और इसके देशों की विविधता भी इस अस्थिरता का एक प्रमुख कारण है. आज यहां हम मिडिल ईस्ट के संघर्षों और प्रमुख देशों की भौगोलिक स्थितियों पर चर्चा करेंगे.

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मिडिल ईस्ट में संघर्ष के कारण:

1. तेल और प्राकृतिक संसाधन: मिडिल ईस्ट दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है. तेल की प्रचुरता ने जहां इसे समृद्ध बनाया, वहीं इसने वैश्विक शक्तियों के हस्तक्षेप और क्षेत्रीय संघर्षों को भी जन्म दिया. कई देशों के लिए यह संसाधन ही संघर्ष की जड़ है.

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2. धार्मिक और सांस्कृतिक विभाजन: मिडिल ईस्ट सुन्नी और शिया मुस्लिमों के बीच धार्मिक विभाजन से भी प्रभावित है. ईरान (शिया बहुल) और सऊदी अरब (सुन्नी बहुल) के बीच क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष ने इस विभाजन को और गहरा किया है.

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3. इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष: 1948 में इज़राइल के बनने के बाद से इज़राइल और फिलिस्तीनियों के बीच जमीन और अधिकारों को लेकर संघर्ष जारी है. इसने मिडिल ईस्ट के पूरे क्षेत्र को प्रभावित किया है और इसे दुनिया के सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक बना दिया है.

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4. आंतरिक विद्रोह और सत्ता संघर्ष: कई देशों में आंतरिक विद्रोह, गृहयुद्ध और सत्ता संघर्ष मिडिल ईस्ट को अस्थिर बनाए हुए हैं. सीरिया, इराक, और यमन में चल रहे गृहयुद्धों ने पूरे क्षेत्र को प्रभावित किया है.

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प्रमुख देशों की भौगोलिक स्थिति:

1. सऊदी अरब: मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा देश, जिसका अधिकांश भाग रेगिस्तान से घिरा है. यहां दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार हैं, और इसका मक्का और मदीना जैसे धार्मिक महत्व वाले शहरों पर नियंत्रण है, जो इसे इस्लामी दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान देता है.

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2. ईरान: मिडिल ईस्ट का दूसरा सबसे बड़ा देश, जिसकी भौगोलिक स्थिति अत्यधिक रणनीतिक है. यह कैस्पियन सागर और फारस की खाड़ी के बीच स्थित है, और इसके पास भी तेल और प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार हैं. ईरान की शिया बहुल आबादी और इसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा क्षेत्रीय संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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3. इराक: तेल से समृद्ध, लेकिन लगातार संघर्षों और युद्धों से तबाह हुआ देश. इराक की भौगोलिक स्थिति फारस की खाड़ी के करीब होने के कारण इसे हमेशा से एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान बनाती है. यहां शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच का तनाव और कुर्दों की स्वतंत्रता की मांग ने इसे अस्थिर बनाए रखा है.

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4. सीरिया: सीरिया की स्थिति भूमध्य सागर के पास है, और यह लेबनान, इजरायल, इराक, जॉर्डन और तुर्की से घिरा हुआ है. 2011 से जारी गृहयुद्ध ने सीरिया को बर्बाद कर दिया है और इसे बड़े पैमाने पर वैश्विक संघर्ष का केंद्र बना दिया है.

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5. इज़राइल और फ़िलिस्तीन: इज़राइल की भौगोलिक स्थिति इसे अरब दुनिया के केंद्र में एक यहूदी राष्ट्र के रूप में स्थापित करती है, जो फ़िलिस्तीन और अरब देशों के साथ इसके संघर्ष का मुख्य कारण है. यहां का भूमि विवाद और धार्मिक महत्व इसे मिडिल ईस्ट के सबसे अस्थिर हिस्सों में से एक बनाता है.

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6. यमन: सऊदी अरब के दक्षिण में स्थित यमन, गरीब देशों में से एक है और यहां लंबे समय से गृहयुद्ध चल रहा है. इसके कारण मानवीय संकट और क्षेत्रीय हस्तक्षेप हो रहे हैं.

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