Neem Karoli Baba: नीम करौली बाबा के वे 4 उपाय, जिन्हें कर लिया तो जमकर होगी धनवर्षा; मन भी रहेगा संतुष्ट
Neem Karoli Baba Upay: उत्तराखंड वाले नीम करोली बाबा के बारे में कौन नहीं जानता. कहते हैं कि जब वे 17 साल के थे, तभी उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. इसके बाद उन्होंने अपना बाकी जीवन बजरंग बली की भक्ति में बिता दिया.
धन का परोपकार में करें इस्तेमाल
नीम करोली बाबा कहते हैं कि जीवन चलाने के लिए धन अर्जित करना जरूरी है लेकिन अंतहीन धन संचय करते जाना उचित नहीं है. इसके बजाय जितना धन आप कमाते हैं, उसे अपनी जरूरत पर खर्च करने के बाद बचे हुए धन को परोपकार में लगा देना चाहिए. ऐसा करने से ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है.
नीम करोली बाबा के उपाय
शांत और सरल जीवन जीने वाले नीम करोली बाबा को उनके अनुयायी दिव्य पुरुष के रूप में याद करते हैं. ऋषिकेश से आगे कैंची धाम उनका आजीवन रहने का ठिकाना रहा. अब कैंचीधाम एक दिव्य स्थल के रूप में चर्चित हो चुका है. कहते हैं कि जो भी व्यक्ति कैंची धाम में गया, वह कभी खाली हाथ लौटकर नहीं आया. बाबा ने अपने आशीर्वाद से उनका जीवन बदल दिया. आज हम आपको बाबा के ऐसे 5 प्रेरक उपाय बताते हैं, जिन्हें अपनाने में जीवन में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा.
विपरीत हालातों से न घबराएं
नीम करोली बाबा के मुताबिक जीवन में अच्छा- बुरा वक्त चलता रहता है. इंसान का जब अच्छा वक्त रहता है, तब तो वो शांत दिखता है लेकिन जैसे ही खराब वक्त आता है, वह घबरा जाता है. वे कहते हैं कि ऐसा करना कमजोर व्यक्ति की निशानी है. इसके बजाय कठिन परिस्थितियों में इंसान को शांत होकर उसके समाधान के उपाय ढूंढने चाहिए. साथ ही ईश्वर पर अपनी उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए.
गुरु की सलाह पर रखें भरोसा
नीम करोली बाबा कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कोई न कोई गुरु जरूर बनाना चाहिए. वह गुरू आपके माता- पिता, शिक्षक या आपके कोई हितचिंतक हो सकते हैं. ऐसे गुरू स्वभाव से कड़वे जरूर हो सकते हैं लेकिन वे कभी भी आपका अहित नहीं होने देंगे. लिहाजा उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए और उनकी सलाह पर अमल करना चाहिए.
चिंतन करें लेकिन चिंता नहीं
नीम करोली बाबा के अनुसार चिंता और चिंतन, दो अलग-अलग बातें हैं. मूर्ख लोग हमेशा चिंता में डूबे रहते हैं, जबकि विद्वान चिंतन करते हैं. अगर हमें अच्छा इंसान बनना है तो इन दोनों में अंतर को साफ तौर पर समझना होगा. चिंता, चिता के समान है, जो इंसान को अंदर से खोखला करके रख देती है. चिंता करने से किसी भी चीज का समाधान भी नहीं होता. लिहाजा किसी भी चीज के बारे में ज्यादा न सोचें और जो हो रहा है, उसे होने दें.