Nyepi Day: दुनिया के सबसे पॉपुलर आइलैंड में शुमार ये जगह 1 दिन रहती है पूरी तरह खामोश? वजह हैं हिंदू

Nyepi Day Bali 2024: दुनिया में तमाम तरह के अजीबोगरीब त्योहार मनाए जाते हैं. कई जगहों के तो रिवाज भी बड़े अलबेले होते हैं. ऐसा ही एक त्योहार इंडोनेशिया के बाली (Bali) में मनाया जाता है. हां, ये त्योहार आज 11 मार्च को ही है. बता दें कि बाली के लोग आज न्येपी डे (Nyepi Day) मना रहे हैं. और सबसे हैरान करने वाली बात है कि न्येपी डे को नए साल के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन इस नए साल पर कोई जश्न नहीं होता है. बल्कि लोग घरों में कैद रहते हैं. और शांति से चिंतन-मनन करते हैं. बाली में अधिकतर हिंदू ही रहते हैं तो इस खामोशी का असर पूरे आइलैंड पर दिखता है. आइए जानते हैं कि बाली के नए साल न्येपी डे को कैसे मनाया जाता है और इस दिन बाली के लोग खामोश क्यों हो जाते हैं.

विनय त्रिवेदी Mon, 11 Mar 2024-8:30 am,
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यूं तो नए साल को पार्टी, म्यूजिक और तरह-तरह के खानों के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. लेकिन बाली में ऐसा नहीं है. यहां का कैलेंडर चंद्रमा के हिसाब से चलता है और बाली में रहने वाले हिंदू दसवें महीने की अमावस्या के अगले दिन मनाया जाता है. जो इस साल आज यानी 11 मार्च को पड़ रहा है. बाली के हिंदुओं के कैलेंडर में सिर्फ 210 दिन होते हैं. आज के दिन बाली पूरी तरह खामोश है सब लोग अपने घरों में कैद हैं.

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न्येपी डे को बाली के लोग साल के पहले दिन के तौर पर मनाते हैं. न्येपी डे के दिन बाली के हिंद अपने-अपने घरों में चिंतन करते हैं कि क्या वे अपनी धार्मिक मान्यताओं को मान रहे हैं. धर्म के दिखाए पर रास्ते पर चल रहे हैं. वे कहीं धर्म के रास्ते और मूल्यों से भटक तो नहीं रहे हैं. इसी वजह से न्येपी डे को कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता है. आपको एक भी गाड़ी सड़क पर नहीं दिखाई देगी. ये सुनिश्चित करने के लिए गार्ड भी लगाए जाते हैं.

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जान लें कि न्येपी डे से एक दिन पहले बाली में Ngrupuk होता है. इस दिन लोग राक्षस की तरह भेष बनाकर गली-गली में घूमते हैं और परेड करते हैं. शोर मचाते हैं. उनके साथ राक्षस के पुलते भी होते हैं. जिसे परेड कराने के बाद जला दिया जाता है. यह कुछ-कुछ दशहरे जैसा लगता है. इस दिन लोग आग से खेलते हुए भी दिखाई देते हैं. लेकिन अगले दिन जब न्येपी डे होता है तो सभी अपने घरों में कैद हो जाते हैं.

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न्येपी डे के दिन घरों में कैद रहने की शुरुआत सुबह 6 बजे से होती है. यह सिलसिला अगले 24 घंटे यानी अगले दिन सुबह 6 बजे तक चलता है. इस दौरान कोई भी घरों से बाहर नहीं निकलता है और ना ही खाता-पीता है. सभी लोग उपवास करते हैं. ध्यान करते हैं. सभी लाइट्स को ऑफ कर देते हैं.

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गौरतलब है कि इंडोनेशिया में तो बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों की है लेकिन बाली में ज्यादातर लोग हिंदू ही हैं. भले ही हिंदू धर्म की शुरुआत भारत से हुई और यहीं से लोग दुनियाभर में फैले. लेकिन बाली के हिंदुओं के त्योहार, परंपराएं और रिवाज बहुत अलग हैं. बाली में होली और दिवाली से ज्यादा न्योपी डे को उत्साह से मनाया जाता है.

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