अवॉर्ड वापसी की लंबी है लिस्ट, देखें किन विवादों पर लौटाए गए सम्मान

Padma Award Wapsi: यह पहली बार नहीं है कि किसी घटना के विरोध में पद्म सम्मान लौटाया गया है. पद्म सम्मान सरकार को वापस करने की इस लिस्ट में कई अन्य नाम शामिल हैं. यहां जानिए आखिर क्या थी वजह...

आरती आज़ाद Sun, 24 Dec 2023-11:54 pm,
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पद्मश्री सम्मान वापसी

दरअसल, बीजेपी नेता और सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती संघ प्रमुख बनने के विरोध में बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री सम्मान सरकार को वापस कर दिया. इससे पहले भी कई लोगों ने पद्म सम्मान लौटाए हैं. इसमें फेहरिस्ट में खुशवंत सिंह का भी नाम शामिल है. आइए जानते हैं इस लिस्ट में शामिल अन्य नामों के बारे में...

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बजरंग पुनिया

सबसे पहले तो बात करते हैं ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया की, जिनका कहना था, "महिला पहलवानों का अपमान होने के बाद मैं अपना जीवन सम्मानजनक बनकर नहीं जी पाऊंगा. ऐसी जिंदगी मुझे आजीवन सताती रहेगी। इसलिए मैं यह 'सम्मान' आपको लौटा रहा हूं." 

 

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लेखक खुशवंत सिंह

खुशवंत सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में अपना पद्म सम्मान लौटाया था. लेखक खुशवंत सिंह को साल 1974 में पद्म भूषण से दिया गया था. इसके बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने साल 1984 में अमृतसर के गोल्डन टेंपल में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था, जिसके विरोध में खुशवंत सिंह ने इसे सरकार को लौटा दिया था. हालांकि, इसके बाद उन्हें 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 

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स्वामी रंगनाथानंद

इसके बाद साल 2015 में 33 लोगों ने सरकार को सम्मान लौटाए थे. रामकृष्ण मिशन के स्वामी रंगनाथानंद ने 2000 में यह पुरस्कार लौटा दिया था, उनके मुताबिक यह उन्हें एक शख्सियत के तौर पर दिया गया था, ना कि मिशन को. 

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इतिहासकार रोमिला थापर

इतिहासकार रोमिला थापर ने दो बार साल 1992 और साल 2005 पद्म पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था. इसके पीछे उन्होंने वजह बताई थी कि वह सिर्फ और सिर्फ 'शैक्षणिक संस्थानों या पेशेवर काम से जुड़े लोगों से' पुरस्कार स्वीकार करेंगी. 

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हिंदी लेखक उदय प्रकाश

वहीं, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान साल 2015 में लेखकों और बुद्धिजीवियों द्वारा साहित्य अकादमी सम्मान वापसी 33 मामले सामने आए थे. सबसे पहले हिंदी लेखक उदय प्रकाश ने विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या पर अकादमी की 'उदासीनता' के विरोध में सम्मान लौटा दिया था. उन्होंने उपन्यास मोहनदास के लिए 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. 

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गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध

इसके करीब एक महीने बाद लेखिका नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी, लेखिका कृष्णा सोबती और शशि देशपांडे ने भी पुरस्कार लौटा दिए थे.  लेखिका नयनतारा का कहना था, "भारत की विविधता की संस्कृति' और 'असहमति के अधिकार' पर 'भयानक हमला' किया जा रहा है." इसके बाद कई अन्य लोगों ने इसका अनुसरण करते हुए अपने पुरस्कार लौटाए.

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दलीप कौर टिवाना

पंजाबी लेखिका दलीप कौर टिवाना ने भी अपना पद्मश्री लौटा दिया. निर्देशक सईद मिर्जा, कुंदन शाह, दिबाकर बनर्जी और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन ने भी अपने राष्ट्रीय सम्मान लौटा दिए.  इस तरह से भारतीय टेलीविजन संस्थान के स्टूडेंट्स ने संस्थान के अध्यक्ष के तौर पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध किया था. 

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