Explainer: सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया विपक्षी INDIA गठबंधन?

Jagdeep Dhankhar No-Confidence Motion: विपक्षी INDIA खेमे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने का प्रस्ताव दिया है. मंगलवार को, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव राज्यसभा के महासचिव को सौंपा जा चुका है. विपक्षी गठबंधन ने धनखड़ पर पक्षपाती ढंग से सदन चलाने का आरोप लगाया है. रमेश ने कहा कि यह फैसला INDIA के दलों के लिए दर्द भरा था, लेकिन `संसदीय लोकतंत्र के हित में` ऐसा करना पड़ा. विपक्ष दल पहले भी धनखड़ के रवैये पर सवाल उठाते आए हैं, सदन के भीतर भी और उसके बाहर भी. INDIA ब्लॉक की पार्टियों ने इस साल अगस्त में भी उपराष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव लाने की सोची थी. लेकिन यह पहली बार है जब औपचारिक रूप से उपराष्‍ट्रपति को सभापति के पद से हटाने का प्रस्ताव दिया गया है. आखिर विपक्षी सदस्यों को सभापति धनखड़ से क्या `दिक्कत` है? आइए समझते हैं.

दीपक वर्मा Dec 10, 2024, 18:58 PM IST
1/5

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से नाराजगी की ताजा वजह क्या है?

संसद के शीतकालीन सत्र में एक दिन भी ठीक से कामकाज नहीं हो पाया है. राज्यसभा जो कि संसद का उच्च सदन है, वहां भी लगातार हंगामा होता रहा. विपक्ष के पास अडानी ग्रुप पर लगे आरोप, संभल हिंसा, मणिपुर मामला समेत कई मुद्दे थे जिन्हें लेकर सदन की कार्यवाही शुरू होते ही वे नारेबाजी करने लगते. बीजेपी ने कांग्रेस पर जॉर्ज सोरोस की 'कठपुतली' होने का आरोप लगाया और उससे संसद का हंगामा और बढ़ गया.

राज्यसभा में सभापति ने विपक्ष के मुद्दों को उठाने की इजाजत नहीं दी, लेकिन कांग्रेस-सोरोस के कथित 'लिंक' के मसले पर सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने की अनुमति दी. बस फिर क्या था, विपक्ष के सदस्यों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने सभापति धनखड़ के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्ताव लाने की ठान ली.

2/5

पदेन सभापति बनने से पहले कभी राज्यसभा सांसद नहीं रहे धनखड़

जुलाई 2022 में उपराष्‍ट्रपति पद के एनडीए उम्मीदवार के रूप में नामित किए जाने से पहले, जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया और 1992 के बाद से उपराष्‍ट्रपति चुनावों में सबसे बड़ी जीत दर्ज की. धनखड़ को 74.37% वोट मिले थे. धनखड़ ने 11 अगस्त को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में पदभार संभाला और एम वेंकैया नायडू की जगह ली.

धनखड़ केवल छठे उपराष्ट्रपति हैं जो पहले राज्यपाल के रूप में कार्य कर चुके हैं. धनखड़ से पहले 13 उपराष्ट्रपतियों में से केवल चार (जाकिर हुसैन, गोपाल स्वरूप पाठक, भैरों सिंह शेखावत और एम वेंकैया नायडू) ने उच्च सदन के पदेन अध्यक्ष बनने से पहले राज्यसभा सांसद के रूप में काम किया था. धनखड़ 1989 से 1991 के बीच राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा सांसद थे.

यानी, धनखड़ बीजेपी द्वारा नामित एकमात्र उपराष्ट्रपति हैं जो कभी राज्यसभा सांसद नहीं रहे. भैरों सिंह शेखावत और एम वेंकैया नायडू दोनों ही राज्य सभा के पदेन अध्यक्ष बनने से पहले इसके सांसद थे.

3/5

पहले सत्र से ही साफ कर दिया था रुख

राज्यसभा के सभापति के रूप में जगदीप धनखड़ का पहला संसद सत्र, 2022 का शीतकालीन सत्र था. उनके पहले सत्र में 102 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की गई. लेकिन अपने पहले सत्र में में ही, सभापति धनखड़ ने साफ जाहिर कर दिया था कि संवैधानिक पद पर बैठने के बावजूद वे अपनी राय जाहिर करने से नहीं हिचकेंगे.

7 दिसंबर 2022 को, राज्यसभा में अपने पहले संबोधन में ही धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को रद्द करने के लिए न्यायपालिका पर कुछ टिप्पणियां की थीं. धनखड़ ने तब कहा था कि 'किसी भी लोकतंत्र में संसदीय संप्रभुता अलंघनीय होती है. हम सभी यहां इसे बनाए रखने की शपथ लेते हैं.' धनखड़ खुद भी वकील रहे हैं और न्यायपालिका के मसलों पर खुलकर बोलने में पीछे नहीं हटते.

धनखड़ ने उसी सत्र में, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था, 'यूपीए की माननीय अध्यक्ष द्वारा दिया गया बयान मेरे विचारों से बहुत दूर है. न्यायपालिका को अवैध ठहराना मेरे विचार से परे है. यह लोकतंत्र का एक स्तंभ है. मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह करता हूं और उम्मीद करता हूं कि वे इस बात को ध्यान में रखें कि उच्च संवैधानिक पदों पर पक्षपातपूर्ण रुख न अपनाया जाए.'

बतौर सभापति, पहले सत्र में ही धनखड़ ने हंगामा करने वाले सदस्यों को कड़ी चेतावनी दी थी और उन्हें अनुशासन और गरिमा का पाठ पढ़ाया था. उन्होंने कहा था कि 'अभिव्यक्ति के तंत्र के रूप में व्यवधान, राज्यसभा के गरिमा, शिष्टाचार और गरिमा के विपरीत है. इसका परिणाम हमेशा नकारात्मक होता है क्योंकि इससे लोगों में निराशा, हताशा, लाचारी और निराशा पैदा होती है.' धनखड़ का वही रुख अब भी है. वे हंगामा करने वाले सदस्यों को बार-बार समझाने की कोशिश करते हैं.

4/5

विपक्ष के सदस्यों पर खूब सुनाते रहे हैं सभापति धनखड़

संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र का ही उदाहरण लीजिए. सभापति जगदीप धनखड़ ने 29 नवंबर को राज्यसभा में विपक्षी सांसदों को नारेबाजी पर आड़े हाथों लिया था. सभापति ने कहा, '...इसकी सराहना नहीं की जा सकती. हम बहुत खराब मिसाल कायम कर रहे हैं. हमारे कार्य जनता-केंद्रित नहीं हैं. हम अप्रासंगिकता में जा रहे हैं...' 

इसी साल अगस्त में, सभापति और विपक्ष के बीच खींचतानी खासी बढ़ गई थी. तब धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी बहस देखने को मिली. खरगे ने एक मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन सभापति ने इसे अस्वीकार कर दिया. जब खरगे और कांग्रेस सदस्यों ने पूछा कि सभापति उन्हें बोलने की अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं, तो धनखड़ ने कांग्रेस प्रमुख पर आरोप लगाया कि वह बिना सोचे-समझे उनसे सवाल पूछ रहे हैं. इसके बाद, विपक्ष ने विरोध जताते हुए वाकआउट कर दिया.

राज्यसभा में सभापति धनखड़ और समाजवादी पार्टी की सदस्य, जया बच्चन के बीच हुई बहस भी मीडिया में खूब सुर्खियां बनी. वह भी मॉनसून सत्र 2024 की बात थी. बच्चन ने धनखड़ द्वारा उन्हें संबोधित किए गए 'लहजे' पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद दोनों में तीखी नोकझोंक हुई. सभापति ने कहा कि उन्हें 'सिखाया' नहीं जा सकता और बच्चन 'कोई भी हो... एक सेलिब्रिटी' लेकिन उन्हें शिष्टाचार का पालन करना होगा.

ये वाकये तो इसी साल के हैं लेकिन 2022 से ही राज्यसभा में सभापति और विपक्ष के सदस्यों के बीच ऐसे ही नोक-झोंक होती आई है.

5/5

राज्यसभा के सभापति को हटाने की क्या प्रक्रिया है?

संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 में राज्यसभा के सभापति को हटाने की प्रक्रिया बताई गई है. इसकी शुरुआत सभापति के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्ताव पेश करने से शुरू होती है. पारित होने के लिए, मतदान के दिन मौजूद सदस्यों में से कम से कम 50% और एक सदस्य की स्वीकृति की आवश्यकता होती है. यदि पारित हो जाता है, तो प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए लोकसभा में साधारण बहुमत प्राप्त करना होगा.

यानी, प्रस्ताव को राज्यसभा से पारित होने के लिए मौजूद सदस्यों के आधे से एक ज्यादा सदस्य का समर्थन चाहिए होगा. उसके बाद, अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में बस बहुमत पाने की जरूरत बचती है.

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link