Ram Mandir News: तब राम मंदिर के लिए गांव-गांव ईंट इकट्ठा करते मोदी... आडवाणी की पत्नी के छलक पड़े थे आंसू
नया साल 2024 आ गया है. कुछ दिन बाद ही अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं. रामलला अपने भवन में प्रवेश करेंगे. भारत समेत दुनियाभर के करोड़ों हिंदुओं की आस्था भगवान राम से जुड़ी है. ऐसे में इस दिन को भव्य और दिव्य तरीके से मनाने की योजना है।
मोदी के भाषण के बिके हजारों कैसेट
इस समय, पीएम मोदी का एक पुराना ऑडियो सोशल मीडिया पर आया है। इसमें वह कहते सुने जाते हैं, 'राम जन्मभूमि वाली जगह पर ही राम मंदिर बनना चाहिए, वह जगह जहां राम का जन्म हुआ. दुनिया की कोई ताकत राम मंदिर बनने से नहीं रोक सकती.' वैसे तो, रामजन्मभूमि आंदोलन के समय पीएम मोदी ने कई पावरफुल स्पीच दी थी. 'लोक अदालत मा अयोध्या' इनमें से एक है. पीएम के बारे में जानकारियां रखने वाले एक्स हैंडल 'Modi Archive' ने बताया है कि तब मोदी के भाषण की गूंज इतनी थी कि स्पीच को रिकॉर्ड किया गया और कॉपी करके इसकी हजारों कैसेट तैयार की गई थी. यह कैसेट लोगों को बेची गई जिससे वे बार-बार यह सुनते रहें.
1989 में मोदी का वो लेख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में एक स्वयंसेवक के तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. 1970 के दशक से अब करीब 6 दशक बीत गए. देशवासियों में जागृति पैदा करने के लिए पूरे भारत में कई यात्राएं आयोजित की गई थीं. 'साधना' मैगजीन में नरेंद्र मोदी ने 1989 में गुजराती में एक लेख लिखा था. इसमें उन्होंने राम मंदिर निर्माण का महत्व बतलाया था. उन्होंने लिखा था, 'आज रामशिला राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गई है और इस मुद्दे का विरोध करने वालों को असहजता महसूस हो सकती है. रामशिला लाखों लोगों के दिलों में आस्था बन गई है. ठीक उसी तरह जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोकमान्य तिलक के गणेशोत्सव ने राष्ट्रीय चेतना पैदा की थी और महात्मा गांधी के चरखे ने 'चरखे के साथ स्वराज्य' के माध्यम से... इसी तरह आजादी के पांचवें दशक में रामशिला राष्ट्रीय चेतना की आधारशिला बन गई है...'
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मोदी ने लिखा, 'भविष्य का भारत, अखंड भारत बनाने के लिए उन प्रतीकों के पुनर्निर्माण की जरूरत है जो दिलों को जोड़ते हैं, वो नहीं जो दिलों को तोड़ते हैं. राम जन्मभूमि पर पुनर्निर्माण नफरत को दूर कर एकता के संदेश का भी प्रतीक बन गया है. तुलसीदास की पंक्ति 'राम काज करिबे को आतुर (राजकाज नहीं)' को आत्मसात करने की जरूरत है...'
गांव-गांव घूमकर इकट्ठा कीं ईंटें
1989 में रामशिला पूजन समारोह में विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी ने अपना सक्रिय योगदान दिया. इस दौरान वह गुजरात के गांव-गांव घूमे और हजारों गांववालों से ईंटें इकट्ठा कीं.
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सितंबर 1990 में सोमनाथ-अयोध्या राम रथ यात्रा शुरू हुई, तब नरेंद्र मोदी गुजरात बीजेपी के महासचिव थे और उन्होंने गुजरात में यात्रा के सारथी की भूमिका निभाई. पूरी यात्रा में उन्होंने गजब का समर्पण भाव दिखाया. गुजरात में यात्रा 600 गांवों से होकर गुजरी और नवरात्रि के समय मोदी ने कुछ नहीं खाया सिर्फ पानी पीकर रहे.
जब आडवाणी की पत्नी को हुई मोदी की चिंता
यात्रा के दौरान उन्होंने कई दमदार और जोशीले भाषण दिए. उन्हें सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ती. सड़क के किनारे यात्रा को देखने फूल की वर्षा करने के लिए लोग जुटने लगे. 18 घंटे लगातार काम करना पड़ता था. मोदी यात्रा पर ही पूरा समय देते थे. मोदी का यह समर्पण भाव देखकर एक बार लालकृष्ण आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने मोदी से थोड़ा आराम करने को कहा था. उन्हें मोदी की चिंता थी. मोदी ने उनसे कहा था, 'यही मेरी असली लाइफ है और मैं इसका आनंद ले रहा हूं.'